रोहतक. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि व्यक्ति का करता है तथा इससे नैतिक मूल्यों के साथ-साथ शैक्षणिक कौशल को भी बढ़ावा मिलता है. राज्यपाल शुक्रवार को रोहतक में वैश शिक्षा समाज के 98वें संस्थापन दिवस के अवसर पर बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि हमें महात्मा गांधी की राष्ट्रीय हितैशी विचारधारा को भावी पीढ़ियों में संचारित करना चाहिए, क्योंकि केवल शिक्षा ही व्यक्ति को सही दिशा प्रदान कर सकती है. उन्होंने कहा कि हमें प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी रहना चाहिए, लेकिन इसके लिए सर्वप्रथम मनुष्य को बेहतर शिक्षा उपलब्ध होनी चाहिए, जिससे अच्छे विचार सृजित हों.
राज्यपाल ने किया वैश विद्यालय का शिलान्यास
राज्यपाल ने इस अवसर पर वैश व्यायामशाला तथा गौशाला में प्राकृतिक कृषि की प्रयोगशाला का उद्घाटन भी किया.
उन्होंने उस स्थान का भी दौरा किया, जहां महात्मा गांधी ने सन् 1921 को रोहतक में वैश विद्यालय का शिलान्यास किया था. उन्होंने गांधी जी की स्मृतियों को जीवंत रखने वाले संग्राहलय का भी दौरा किया.
हरियाणा सरकार के सहकारिता मंत्री श्री मनीष ग्रोवर ने भी इव अवसर पर अपने विचार प्रकट किए. वैश शिक्षा समाज के अध्यक्ष श्री विकास गोयल ने इस अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया.
भारतीय गाय की नस्ल में सुधार लाने पर बल
इससे पूर्व, राज्यपाल ने जिला सोनीपत की गोहाना तहसील के मुंडलाना में श्री कृष्णा वासुदेव गौशाला का भी दौरा किया. मुंडलाना में एक विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य देवव्रत ने गाय विशेषकर भारतीय गाय की नस्ल में सुधार लाने के कार्य पर बल दिया.
राज्यपाल ने फसलों पर यूरिया, डीएपी तथा अन्य रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग को बन्द करने का आग्रह किया तथा कहा कि यह एक हानिकारक प्रचलन है, जिससे केवल विषैले उत्पाद उत्पन्न होते हैं, मिट्टी की उर्वकता घटती है, उत्पादन लागत में वृद्धि होती है तथा किसानों को कम आय प्राप्त होती है. इस प्रचलन को बदलने की आवश्यकता है. उन्होंने जैविक उत्पादों के प्रयोग को भी नकारा, क्योंकि ये उत्पाद हर प्रकार से मंहगे हैं तथा किसानों के हित में नहीं हैं.
जैविक कृषि अपनाने की अपील
राज्यपाल ने कहा कि दक्षिण भारत के वैज्ञानिक पद्म श्री डा. सुभाष पालेकर ने कृषि क्षेत्र में तीसरा विकल्प प्रदान किया है, जोकि शून्य लागत प्राकृतिक खेती है. उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के 50 लाख से भी ज्यादा किसानों ने इस आसान तथा शून्य लागत खेती को अपनाया है व इस खेती में उत्पादित उत्पाद सेहत के लिए सुरक्षित व बेहतर है. इस खेती से मिट्टी की उर्वकता, फसल तथा किसानों को उत्पादों के लिए मिलने वाले दामों में वृद्धि होती है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की खेती में स्वदेशी गाय को 30 एकड़ भूमि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है तथा हमें इस प्रकार गौधन की सुरक्षा करनी चाहिए.