हमीरपुर. अनुराग ठाकुर ने जितनी बार भी लोकसभा का चुनाव लड़ा है उनके पिता प्रेम कुमार धूमल किसी न किसी तरह भाजपा के प्रमुख चेहरा रहे. कभी वह मुख्यमंत्री रहे तो कभी नेता प्रतिपक्ष के रूप में वह कांग्रेस के खिलाफ हमलावर रहे.
हमीरपुर संसदीय हलके के 17 विधानसभा हलकों में इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर इन 17 सीटों से जीत कर ही 2008 से अब तक लोकसभा में पहुंचते आ रहे हैं, लेकिन इस बार इन 17 सीटों पर बेहद दिलचस्प मुकाबले हैं. कहीं पर बागियों ने भाजपा व कांग्रेस की नींद उड़ा रखी है तो कहीं पर भाजपा की खेमेबाजी कई रंग दिखाने वाली लग रही हैं. 12 नवंबर को मतदान हो चुका है और अब आठ दिसंबर को परिणामों का इंतजार है.
हमीरपुर व ऊना में है धूमल व अनुराग का दबदबा
धूमल ने 1996 से ही प्रदेश पर कब्जा करने का अभियान छेड दिया था. 1998 तक वह व उनका खेमा काफी हद तक प्रदेश भाजपा को अपने कब्जे में ले चुके थे. उन्होंने तभी से अपने बडे पुत्र अनुराग ठाकुर को राजनीति में लाने के लिए बिसातें बिछानी शुरू कर दी थी, चूंकि वह खुद प्रदेश की रातनीति में स्थापित हो चुके थे तो उन्होंने अनुराग को लोकसभा में भेजने का इंतजाम करना शुरू कर दिया.
हमीरपुर संसदीय हलके में हमीरपुर व ऊना जिला की पांच पांच सीटों के अलावा कांगडा की देहरा व जसवां- परागपुर और जिला मंडी की धर्मपुर हलके शामिल है. इसके अलावा बिलासपुर की चार सीटें भी शामिल है. धूमल ने इन तमाम सीटों पर अपने लोगों को मजबूत करने का काम शुरू कर दिया और वह इसमें कामयाब भी होते रहे, जिसकी वजह से अनुराग ठाकुर 2008 से लेकर अब तक चार बार संसद पहुंच चुके हैं.
अनुराग ठाकुर ने जितनी बार भी लोकसभा का चुनाव लड़ा धूमल किसी न किसी तरह भाजपा के प्रमुख चेहरा रहे. कभी वह मुख्यमंत्री रहे तो कभी नेता प्रतिपक्ष के रूप में वह कांग्रेस के खिलाफ हमलावर रहे. उन्होंने नड्डा के गृह जिला बिलासपुर में रणधीर शर्मा को मजबूत किया तो ऊना जयराम सरकार में मंत्री वीरेंद्र कंवर को आगे बढाया. जिला कांगडा के देहरा से रविंद्र सिंह रवि तो उनके खासम खास थे. जबकि हमीरपुर की कमान वह खुद अपने हाथ में रखते रहे, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों में हार जाने के बाद उनके हाथ से बहुत कुछ छिन गया.
इसीलिए अनुराग व धूमल पर सबकी नजरें है कि वह इस विपरीत स्थिति में भाजपा के लिए कितने सीटें हमीरपुर व ऊना से जीतवा सकते हैं. इस बार अनुराग ठाकुर ही प्रचार पर रहे और इन चुनावों में साबित हो जाना है कि उनका अपना कितना जनाधार इन तमाम हलकों में बन पाया है.
बिलासपुर व मंडी के धर्मपुर हलके से मुश्किलों के संकेत
बिलासपुर बेशक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा का गृह जिला है लेकिन नड्डा का इस जिले की चारों सीटों पर कभी दबदबा नहीं रहा है. यह 2017 के चुनावों में ही हो पाया कि बिलासपुर सदर उनके करीबी सुभाष ठाकुर जीत गए जबकि घुमारवीं से मंत्री राजेंद्र गर्ग ने अपनी सीट निकाल ली थी. जीत राम कटवाल को धूमल के ही खमे थे जबकि नैना देवी से रणधीर शर्मा अपना चुनाव हार गए थे.
इस बार धूमल व अनुराग ठाकुर का बिलासपुर की चारों ही सीटों पर ज्यादा जोर नहीं चल पाया है, जबकि धर्मपुर हलके में तो पहले ही मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के साथ धूमल की तनातनी है. ऐसे में यहा जो कुछ भी होना है वह महेंद्र सिंह के दम पर ही होना है. यह अब तक का पहला चुनाव है जिसमें धूमल के साथ अनुराग ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.