कुल्लू. एक ओर जहां कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव चल रहा था, वहीं यहां के उपायुक्त दिल्ली में प्रधानमंत्री के हाथों जिला कुल्लू को स्वच्छता रैंकिंग में नंबर वन आने का अवार्ड ले रहे थे. नि:संदेह यह पुरस्कार पहाड़ी जिला के लिए सम्मान की बात है, लेकिन धरातल में तस्वीर इससे उलट थी.
अब भले ही सरकारी आंकड़ों के आधार पर स्वच्छता के अन्य मानकों के लिए जिला को यह सम्मान मिला हो, लेकिन दशहरे के दौरान ही स्वच्छ कुल्लू के दामन पर जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर दाग लगाते रहे. बावजूद इसके कि दशहरा उत्सव के दौरान मेला स्थल ढालपुर व वार्ड क्षेत्रों में सफाई के लिए 35 लाख रुपये का ठेका दिया गया था. इसे ठेके में बाहरी क्षेत्रों से 150 सफाई कर्मचारियों को बुलाया गया था ताकि सात दिवसीय उत्सव के दौरान व इसकी समाप्ति के बाद शहर को साफ रखा जा सके.
लिहाजा ऐसा हुआ नहीं और दशहरा उत्सव के नाम पर एकत्र हुए करोड़ों रुपये में से स्वच्छता के लिए 35 लाख रुपये यूं ही कूड़े की तरह बिखेर दिए गए. इससे कुल्लू नगर परिषद की कार्यप्रणली पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं, जिस पर पूरे शहर की स्वच्छता का जिम्मा है.
जगह-जगह गंदगी से प्रशासन के उन दावों की हवा स्वत: निकल गई, जिसके तहत सफाई के लिए लाखों का टेंडर किया गया और स्वच्छता की जागरुकता के लिए जो हो-हल्ला करके जागरुकता अभियान छेड़े गए थे. उपायुक्त ने दावा किया था कि दशहरा व इसके बाद शहर में कचरा नाम की चीज नहीं होगी, इसके लिए लोगों ही नहीं दुकानदारों को भी जागरुक किया जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.