चंबा(भरमौर). क्षेत्र के मुख्य पेयजल स्रोत भरमानी से ग्राम पंचायत सचुईं, भरमौर, घरेड़, ग्रीमा व खणी आदि पांच पंचायतों में रहने वाले करीब बीस हजार लोगों को पेयजल मुहैया करवाया जा रहा है. लेकिन इस पेयजल स्रोत की स्वच्छता पर कई बार लोग प्रश्न चिन्ह लगा चुके हैं. सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग अक्सर लोगों की आवाज को अनसुना कर देता है.
क्षेत्र के समाजसेवी मोती राम शर्मा का कहना है कि वे कई बार इस बारे में विभाग से शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई कार्यवाही नही होती. जबकि विभाग के कई जल स्रोतों के पेयजल सैंपल फेल भी हो चुके हैं.
पानी में मिलाया जाता कीटनाशक
इसी कड़ी में अब नया मामला फिर से उठा है लोगों ने डा. जनक राज से इस पेयजल स्रोत के दूषित होने का मुद्दा सरकार के समक्ष उठाने की मांग की है. डा. जनक राज ने कहा कि भरमानी पेयजल स्रोत के पास भेड़ों को नहाने व श्रद्धालुओं के नहाने के टैंक बनाये गए हैं. भेड़ों के नहाने के लिए तो बकायदा रासायनिक व कीट नाशक दवाईयों को पानी के टैंक में मिलाया जाता है. यही नहीं पानी, नीचे नड्डा नामक स्थान पर बने पेयजल सप्लाई टैंकों के माध्यम से लोगों के घरों तक सप्लाई किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भेड़ों को नहाने के लिए पानी में मिलाए गए रसायनिक व कीट नाशक दवाइयां न तो फ़िल्टर हो सकती हैं और न ही उन्हें ब्लीचिंग पाउडर से बेअसर किया जा सकता है.
हो सकती हैं जानलेवा बीमारियाँ
दवाइयों व गंदगी के कारण इस दूषित जल के कारण कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. उन्होंने भरमौर क्षेत्र में कैंसर से पीड़ित दर्जनों लोगों का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में सरकार को जांच करवानी चाहिए और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.
वहीं डा. जनक ने कहा कि क्षेत्र के लोग अब समझने लगे हैं कि दूषित जल जानलेवा भी साबित हो सकता है. उन्होंने सरकार से जल्द जांच करने की मांग की है. इस संदर्भ में न तो विभागीय सहायक अभियंता शरती शर्मा व न ही अधिशासी अभियंता दिनेश कपूर की कोई टिप्पणी मिल पाई है.