नई दिल्ली. नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जुड़ी कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited – AJL) के साथ फर्जी लेन-देन (Fake Transactions) का खुलासा किया है। ईडी ने बुधवार को दिल्ली की अदालत में बताया कि कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने वर्षों से फर्जी तरीके से अग्रिम किराया और विज्ञापन निधि के रूप में AJL को पैसे ट्रांसफर किए, जो केवल कागजों तक सीमित हैं और इनमें कोई वास्तविक आर्थिक लेन-देन नहीं हुआ। ईडी का कहना है कि इस तरह के अवैध तरीकों से प्राप्त धन अपराध की आय (Proceeds of Crime – POC) माना जाएगा।
ईडी ने कही ये बातें
ईडी के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वी राजू ने कोर्ट में यह भी सवाल उठाया कि जिन दानदाताओं और पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने कथित तौर पर फर्जी किराया भुगतान किया, उन्हें आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है, यदि उनके पैसे भी अपराध की आय हैं। एजेंसी के मुताबिक, 2015 तक राहुल गांधी और सोनिया गांधी ही AJL के वास्तविक लाभार्थी थे, जिनके पास कंपनी का पूरा नियंत्रण था।
कोर्ट ने ईडी से स्पष्ट किया कि क्या फर्जी किराया और विज्ञापन पैसे को भी अपराध की आय के रूप में माना जाएगा। ईडी ने जवाब दिया कि धोखाधड़ी के जरिए प्राप्त कोई भी संपत्ति POC के दायरे में आती है। हालांकि जांच अभी जारी है और ईडी ने कहा कि इस मामले में और विवरण पूरक आरोपपत्र (Supplementary Chargesheet) में पेश किए जाएंगे।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला
नेशनल हेराल्ड मामला भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 1938 में स्थापित उस समाचार पत्र से जुड़ा है, जो कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र था। 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस संपत्ति के अधिग्रहण को लेकर ट्रायल कोर्ट में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन लिमिटेड के माध्यम से नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर “दुर्भावनापूर्ण” नियंत्रण हासिल किया।