नई दिल्ली. Enforcement Directorate (ED) ने बुधवार को दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और देहरादून समेत 12 से अधिक ठिकानों पर बड़ी छापेमारी की। यह कार्रवाई ₹260 करोड़ के एक अंतरराष्ट्रीय cyber fraud case में की गई, जिसकी जांच अब PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत हो रही है।
क्या है मामला?
जांच एजेंसियों के अनुसार, आरोपी खुद को पुलिस अधिकारी, CBI एजेंट, या फिर Microsoft और Amazon के टेक्निकल सपोर्ट स्टाफ के रूप में पेश करके विदेशी और भारतीय नागरिकों से ठगी करते थे। वे victims को यह कहकर डराते थे कि उनका डेटा हैक हो चुका है या कोई आपराधिक गतिविधि उनके नाम से हो रही है। इसके बाद डर और भ्रम का फायदा उठाकर उनसे बड़ी रकम वसूली जाती थी, जिसे बाद में cryptocurrency में बदल दिया जाता था।
Bitcoin से USDT और फिर UAE में कैश!
ED की जांच में यह खुलासा हुआ है कि इस गोरखधंधे से करीब ₹260 करोड़ की रकम इकट्ठी की गई। यह पैसा Bitcoin के रूप में रखा गया और फिर उसे USDT (Tether) में बदलकर hawala network के ज़रिए UAE में कैश में कन्वर्ट किया गया। यानि, भारत से ठगी → बिटकॉइन में बदलना → USDT ट्रांसफर → UAE में नकद वसूली।
कहां-कहां हुई छापेमारी?
दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और देहरादून के साथ-साथ कई अन्य स्थानों पर भी रेड की गई। ED की टीमें इन ठिकानों से डिजिटल सबूत, क्रिप्टो वॉलेट डीटेल्स, हवाला ट्रांजैक्शन से जुड़े दस्तावेज, और फॉरेन ट्रांसफर रिकॉर्ड्स जुटा रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय साइबर अपराध गठजोड़ का खुलासा
यह केस केवल भारत तक सीमित नहीं है। जांच में सामने आया है कि यह global cybercrime syndicate का हिस्सा है, जिसमें:तकनीकी सहायता घोटाला, फ़िशिंग और पहचान की चोरी, क्रिप्टोकरेंसी लॉन्ड्रिंग, फर्जी कॉल सेंटर और नकली नंबरों का उपयोग किया गया।
ED की कार्रवाई क्यों अहम है?
भारत में cyber financial crimes तेजी से बढ़ रहे हैं और इनका नेटवर्क अब अंतरराष्ट्रीय बन चुका है। इस छापेमारी ने दिखाया कि कैसे नई तकनीकों का इस्तेमाल कर अपराधी पैसे की ट्रैकिंग से बचने की कोशिश करते हैं। साथ ही यह कार्रवाई यह भी दिखाती है कि ED अब इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीकी रूप से भी तैयार है।