नई दिल्ली. भारत में चुनाव आयोग (Election Commission – EC) अगले साल विधानसभा चुनावों वाले राज्यों से शुरू होकर चरणबद्ध तरीके से देशभर में विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) लागू करने की योजना बना रहा है।
चुनावी अधिकारियों के अनुसार, जहां स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं या होने वाले हैं, वहां SIR नहीं कराया जाएगा, क्योंकि जमीनी स्तर पर चुनावी मशीनरी उस समय व्यस्त रहती है और SIR पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएगी।
2026 में विधानसभा चुनाव वाले राज्य
यह कदम ऐसे समय पर आया है जब असम, केरल, पुदुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन पांच राज्यों के अलावा, पहले चरण में कुछ अन्य राज्यों में भी SIR की प्रक्रिया हो सकती है।
बिहार में मतदाता सूची की सफाई प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जहां करीब 7.42 करोड़ नामों की अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई।
EC का बयान: सभी राज्यों में SIR शुरू करने की तैयारी
मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार ने सोमवार को कहा कि सभी राज्यों में मतदाता सूची का SIR शुरू करने का काम जारी है, और इसके रोलआउट पर अंतिम निर्णय चुनाव आयोग द्वारा लिया जाएगा।
बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि EC ने देशव्यापी SIR की योजना की घोषणा की थी, जबकि बिहार का SIR 24 जून को रोलआउट किया गया था।
उन्होंने कहा कि तीन आयुक्त बैठक कर विभिन्न राज्यों में SIR शुरू करने की तिथियों का निर्णय लेंगे।
चुनाव अधिकारियों के अनुसार, EC के शीर्ष अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में राज्य मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEOs) से अगले 10 से 15 दिनों में SIR की तैयारी करने के लिए कहा था। स्पष्टता के लिए 30 सितंबर की समयसीमा निर्धारित की गई थी।
CEOs को मतदाता सूची तैयार रखने के निर्देश
राज्य CEOs को अपने राज्यों की पिछली SIR के बाद प्रकाशित मतदाता सूची तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं। कई राज्यों के CEOs ने अपनी पिछली SIR के बाद प्रकाशित मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।
दिल्ली CEO की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध है, जब राष्ट्रीय राजधानी में आखिरी गहन संशोधन हुआ था।
उत्तराखंड में आखिरी SIR 2006 में हुई थी, और उस साल की मतदाता सूची अब राज्य CEO की वेबसाइट पर है।
पिछली SIR का उपयोग कट-ऑफ डेट के रूप में किया जाएगा, जैसे बिहार में 2003 की मतदाता सूची का उपयोग गहन संशोधन के लिए किया गया था। अधिकांश राज्यों ने अपनी अंतिम SIR 2002 से 2004 के बीच की थी।
अधिकतर राज्यों में वर्तमान मतदाताओं का पिछली SIR की सूची से मिलान लगभग पूरा हो चुका है। SIR का प्राथमिक उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों को हटाना है, जिससे उनके जन्मस्थान की जांच की जा सके।