मंडी. वैसे तो भारत के इतिहास में अग्निपरीक्षा की कहानी कई बार दोहराई गई है लेकिन अगर हम आपको ये बताएं कि आज भी अग्निपरीक्षा की प्रथा जिंदा है तो क्या आप विश्वास करेंगे? मंडी शहर के बीचो बीच स्थित माता चामुंडा काली के मंदिर में हर साल पुजारी इस प्रथा को दोहराते हैं, जहां माता के पुजारी दहकते अंगारों पर चलकर अपनी भक्ति की अग्निपरीक्षा देते हैं.
दहकते अंगारों पर चलकर अग्निपरीक्षा देने की यह परंपरा कोई नयी नहीं है. यह प्रथा इस मंदिर में कई सदियों से चलती आ रही है. मंडी शहर के बीचो बीच स्थित है माता चामुंडा काली का मंदिर है. इस मंदिर में हर साल एक वार्षिक आयोजन किया जाता है. लोग बड़ी संख्या में इसमें शिरकत करते हैं. रात भर भजन कीर्तनों के माध्यम से माता की महिमा का बखान होता है.
इस दौरान एक दृश्य ऐसा भी देखने को मिलता है जिसपर खुली आंखों से यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. यह दृश्य होता है माता के पुजारियों की अग्निपरीक्षा का. मंदिर परिसर के एक कोने में अग्नि जलाई जाती है और रात करीब 12 बजे माता चामुंडा काली, महाकाली और देव बालाकामेश्वर के रथ अग्निकुंड के पास लाए जाते हैं. इसके बाद शुरू होता है अग्निपरीक्षा का दौर.
माता के पुजारी बारी-बारी करके इस अग्निकुंड के ऊपर से एक बार नहीं बल्कि अनेकों बार गुजरते हैं.