कांगड़ा : धान की खेती के लिए कांगड़ा जिला प्रमुख है. जिले में इस बार अच्छी बारिश होने से धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है. इस बीच कभी धूप -कभी बारिश में भी किसान अपने खेतों में धान लगाने में व्यस्त हैं. किसानों का कहना है कि मौसम विभाग की माने तो इस बार बारिश अच्छी होगी. जिसके कारण धान की फसल भी पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा होगी.
संयुक्त निदेशक कृषि चमन जीत कपूर ने बताया कि प्रदेश के उत्तरी क्षेत्र में पांच जिले आते हैं. जिनमें कांगड़ा, मंडी और ऊना में धान की अधिक खेती की जाती है. धान उत्पादन में कांगड़ा जिला अग्रणी माना जाता है. यहाँ उत्पादित होने वाली परंपरागत चावल की अनेक किस्मे महक और जायके के लिए मशहूर हैं. इस बार किसानों को धान की रोपाई श्री विधि से करने की सलाह दी जा रही है. हाईब्रीड बीज का प्रति कनाल उत्पादन ढाई से तीन और सरटीफाईड बीज का एक से डेढ़ क्विंटल प्रति कनाल होता है. बीज की कम खपत और अधिक उत्पादन होता है.
कृषि विभाग के आंकड़ो के अनुसार जिला में अनुमानित 99 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. जिसमें 37 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की जाती है. जो कुल धान योग्य भूमि का लगभग एक तिहाई है. आधुनिक कृषि तकनीक को अपना कर तथा कृषि वैज्ञानिकों और किसानों की मेहनत के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष धान उत्पादन में वृद्धि की जा रही है. जिला के खंड विकास भवारना,नगरोटा बगवां,नूरपुर,फतेहपुर ,बैजनाथ,कांगड़ा और रेत में सर्वाधिक धान की खेती की जाती है.