केन्द्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के लिए तीन बड़ी बातें कही
- तीन महीने में सभी किसानों के पास होगा मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड, अबतक 12 करोड़ किसानों को मिल चुका है कार्ड
- अब 33 फीसदी फसल नुकसान पर बीमा का लाभ, 50 फीसदी से अधिक नुकसान पर तुरंत मुआवजा
- रबी के लिए 1.5 फीसदी, खरीफ के लिए दो और वाणिज्यिक फसलों के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम दर निर्धारित
और, अर्थशास्त्रियों के लिए भी तीन बातें
- वर्तमान वित्तीय वर्ष में कृषि पर 63 हजार करोड़ रुपया खर्च होगा
- किसानों को ‘ऋण के लिए 15 लाख करोड़’ का बजट
- ब्याज सहायता के लिए 21 हजार करोड़ रुपया
वे फेसबुक लाइव पर प्रश्नो का जवाब दे रहे थे.
कृषि लागत को कम करने के लिए केन्द सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए परम्परागत कृषि विकास योजना लाई गयी है. देश में जैविक खेती का आकार बढ़कर 20 लाख हेक्टेयर हो गया है. उक्त बातें केन्द्रीय कृषि मंंत्री राधामोहन सिंह अपने फेसबुक लाइव में कही.
उन्होनें फेसबुक पर दिए एक साक्षात्कार में वर्तमान सरकार की उपलब्धियों को गिनाया. उन्होनें कहा कि यूपीए सरकार के समय वित्तीय वर्ष 2013-14 के बीच जहां कृषि के लिए 30 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान रखा गया था, वहीं वर्तमान केन्द्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में 57 हजार करोड़ रुपये कृषि बजट पर खर्च किया, जो तय बजट से सात हजार करोड़ ज्यादा रहा. इसे देखते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 63 हजार करोड़ रुपया खर्च करने का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही डेयरी के लिए 8 हजार करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है.
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने एक सरकारी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि 12 किसानों का मिट्टी परीक्षण कार्ड बनाये जा चुके हैं एवं तीन महीने के भीतर सभी किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बना दिए जाएंगे. इसके तहत 9 हजार परीक्षण केन्द्र स्थापित किए गए हैं. जबकि पिछली सरकार में सिर्फ 15 मिट्टी परीक्षण केन्द्र ही काम कर रहे थे. मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड के लिए 300 करोड़ रुपये का बजट है, यह जानकारी उन्होनें दी.
किसानों के ऋण एवं ब्याज सहायता के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार 5 फीसदी ब्याज सहायता दे रही है. वहीं ब्याज सहायता के लिए 21 हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान है. किसानों को ऋण के लिए 15 लाख करोड़ का बजट रखा गया है.
उन्होनें कहा कि अब रबी की फसलों के लिए 1.5 फीसदी, खरीफ के लिए दो और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए पांच प्रतिशत प्रीमियम दर निर्धारित कर दिया गया है. अब फसल नुकसान के लिए 50 फीसदी की दर को घटाकर 33 फीसदी कर दिया गया है. उन्होनें तकनीक के इस्तेमाल से किसानों को जल्द भुगतान करने की बात कही. इसके साथ ही 50 फीसदी से अधिक फसल के नुकसान होने की स्थिति में आकलन का इंतजार नहीं किया जाएगा.
अपने लाइव प्रोग्राम में उन्होनें आंध्र प्रदेश और मध्यप्रदेश में देशी गायों के नस्लों को सुधारने के लिए नेशनल ब्रीडिंग सेंटर खोलने की जानकारी दी. इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरूआत की है. इस मिशन को पूरा करने के लिए 50 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा.