चंबा. जंगल हमारी धरोहर हैं. मगर कुछ लोगों के स्वार्थी रवैये के कारण यह नष्ट हो रहे हैं. चंबा शहर भी इससे अछूता नहीं है. बारिश की चाह में यहां कुछ लोग शहर के आसपास के घने जंगल को आग लगा रहे हैं. नतीजतन प्रदूषण तो हो ही रहा है. साथ ही पेड़-पौधाेंं और जीव-जंंतुओं की दुर्लभ प्रजातियों पर भी संकट मंडरा रहा है.
चील की दुर्लभ प्रजाति खतरे में

गिद्ध की प्रजाति से ताल्लुक रखने वाले दुर्लभ चील का चंबा का यही जंगल कभी घर हुआ करता था. आए दिन लगाई जाने वाली आग से इनका बसेरा अब खाक हो रहा है. पेड़ पर घोसलों में उनके नवजात बच्चे इस आग की भेंट चढ़ रहे हैं. आसमान पर छाए धुएं में मादा चील अपने नवजात बच्चों को बचाने की कोशिश में छटपटाती साफ तौर पर देखी जा सकती है. हालांकि इस दुर्लव प्रजाति को बचाने के लिए विभाग लाखों रुपए खर्च कर रहे हैं लेकिन यहां इस क्षेत्र में हर साल जब इनका प्रजनन का समय होता है तो अस जंगल की आग वजह से इनके नवजात बच्चों को काफी नुकसान पहुंचता है लेकिन विभाग द्वारा इस क्षेत्र को सुरक्षित रखने का कोई भी उपाय नहीं किया जाता है.

वातावरण भी हो रहा प्रदूषित
चंबा के स्थानीय लोगों का कहना है कि आए दिन लगने वाली आग पर प्रशासन के पास कोई योजना नहीं है. जंगल में आग लगाने वालों की धरपकड़ का भी कोई इंतजाम नहीं है. इससे होने वाला प्रदूषण शहर के लोगों के लिए भी काफी खतरनाक हो गया है. उन्होंने मांग की कि जंगल में आग लगाने वाले लोगों को सरकार द्वारा पकड़ के दंडित किया जाना चाहिए ताकि और कोई इस तरह का कार्य ना करें.
रिहायशी इलाकों में बढ़ रही थी आग
अग्निशमन विभाग के लीडिंग फायरमैन विजय कुमार ने बताया कि जंगल में आग काफी फैल चुकी थी जो रिहाइशी इलाकों की तरफ भी फैल रही थी लेकिन उन्होंने आग पर काबू पा लिया है. परन्तु इससे काफी वन संपदा जलकर खाक हो चुके हैं उन्होंने बताया कि इस आग से जंगली जीव-जंतुओं को भी काफी नुकसान हुआ है काफी पक्षी जो है उनके घोंसले इससे जल चुके हैं साथ ही उन्होंने लोगों से आग्रह किया है की जंगल में इस तरह से आग ना लगाएं इससे काफी नुकसान होता है.
 
								 
         
         
         
        