नाहन (सिरमौर). हिमाचल प्रदेश देवभूमि है और यहां कदम कदम पर देवी-देवताओं के मंदिर है. लेकिन विधानसभा क्षेत्र पांवटा साहिब में एक ऐसा भी गांव है जहां गांधी मंदिर है और गांधी जी की पुण्यतिथि को यहां 2 फरवरी को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
विधानसभा क्षेत्र पांवटा साहिब का गिरिपार क्षेत्र कहने को तो पिछड़ा क्षेत्र है लेकिन यहां पर बुद्धिजीवी समाज शुक्रवार से नहीं बल्कि कई दशकों से नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना हुआ है. पांवटा साहिब से मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अम्बोया गांव में आज भी सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया जाता है. सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का इस गांव में मंदिर बनाया गया है. गांधी मंदिर लगभग 60 दशकों पहले ( सन 1953 -54 ) का बना हुआ है.
अम्बोया गांव में महात्मा गांधी के शहीदी दिवस पर तीन दिवसिय मेले का आयोजन किया जाता है. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला अम्बोया के प्रागण में 30 जनवरी से महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर मेला शुरू हो जाता है. मेला राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी के शहीदी दिवस पर उनकी शहादत को सलाम करता आ रहा है. जिला सिरमौर के अलावा पड़ोसी राज्यों हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड से आकर लोग महात्मा गांधी को श्रद्वासुमन अर्पित करते है. इसके बाद बच्चे, बुजर्ग व महिलाएं मेले में खरीदारी करते है.
यह मेला महात्मा गांधी की शहादत को याद करने के लिए हर साल मनाया जाता है. अंबोया गांव के बुर्जगो का कहना है कि महात्मा गांधी जी ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी. उनकी याद में 1949 के बाद से यह मेला हर साल मनाया जाता है. इस मेले में सैंकड़ो लोग आते है. पिछले 60 दशकों से भी अधिक समय से यह मेला लगातार हर साल मनाया जाता है. इस मेले की शान आज भी नहीं घटी है.
जहां एक और बुजुर्ग गांधी मंदिर में बैठ कर पुराने दिनों की यादें ताज़ा करते है तो वहीं दूसरी और स्थानीय लोग इस तीन दिवसीय मेले में खरीददारी करते है. बच्चे भी इस मेले का खूब आनंद उठाते है। बच्चे इस मेले में अपने परिजनों के साथ न केवल मोज़ मस्ती करने पहुंचते है. बल्कि यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी याद करते है. बच्चे बच्चे को पता है की अंबोया गांव में हर साल यह मेला क्यों लगता है. इसी तरह के मेलों के आयोजनों से आने वाली कई सदियों तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जैसे महान लोगो के बलिदान को लेकर याद करते रहेंगे