नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने कहा कि 2,000 रुपये के बैंक नोट वापस लेने से काले धन पर रोक लगाने में काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा, क्योंकि लोग यह नोट जमा कर रहे हैं. जब साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद करने का फैसला किया था तो उस समय आरबीआई में मुद्रा विभाग के प्रमुख आर गांधी ही थे.
भुगतान प्रणाली पर नहीं होगा असर
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि भुगतान पर किसी भी प्रणालीगत प्रभाव की संभावना नहीं है क्योंकि इन नोटों का उपयोग दैनिक भुगतानों में नहीं किया जाता है. ज्यादातर भुगतान डिजिटल माध्यम से होते हैं. हालांकि, नोटों को बदलने के लिए एक दिन में 20,000 रुपये की सीमा ‘परिचालन असुविधा’ का कारण बन सकती है. क्योंकि हो सकता है कि कुछ लोगों को एक बैंक ब्रांच में कई बार जाना पड़े.
काले धन पर अंकुश लगाने में मिलेगी मदद
गांधी ने कहा कि दो हजार के नोट बंद करने से काले धन पर अंकुश लगाने में खासी मदद मिलेग. उन्होंने कहा कि नोटबंदी करने का मुख्य मकसद अर्थव्यवस्था से काले धन को हटाना ही था. वैसे भी आरबीआई समय-समय पर पुरानी करेंसी को हटाने के लिए नई श्रृंखला के नोट जारी करती रहती है. उन्होंने कहा कि 2016 में करेंसी को चलन से हटाने का एक बड़ा कारण अर्थव्यवस्था में काले धन पर रोक लगाना था.
चार माह का मिलेगा समय
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने 19 मई को 2 हजार रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से वापस लेने का ऐलान किया है. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने बताया है कि 23 मई से 30 सितंबर, 2023 तक दो हजार रुपये के नोट को अन्य नोटों में बदला जा सकता है.
आरबीआई ने बैंकों को दो हजार रुपये के नोट बदलने को लेकर निर्देश दिए हैं. जिसके मुताबिक, आप एक बार में 2000 रुपये के 10 नोट यानी 20,000 रुपये के मूल्य के नोटों को जमा या अन्य नोटों में बदल सकते हैं. हालांकि, यह लीगल टेंडर बना रहेगा. इसका मतलब है कि अगर आप इस तारीख तक इन नोटों को नहीं बदलवा पाते हैं और आपके पास 2,000 रुपये का नोट रह जाता है तो उसकी मान्यता बनी रहेगी.