शिमला. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि हमें अपनी मातृ भाषा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए. हिन्दी एकमात्र ऐसी भाषा है, जो देश को एक सूत्र में बांध सकती है. राज्यपाल गुरुवार को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में कला, भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित राजभाषा हिन्दी सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे.
आचार्य देवव्रत ने कहा कि दुनिया के लगभग सभी विकसित राष्ट्रों ने अपनी भाषा के दम पर विकास की ऊंचाइयों को हासिल किया है और विकास के हर क्षेत्र में मातृ भाषा को अपनाकर आगे बढ़े हैं. हमें यह समझना चाहिए कि जो राष्ट्र आज महाशक्ति के रूप में उभरे हैं उसके पीछे उनकी भाषा की ताकत है. जबकि देश में आजादी के बाद भाषा के नाम पर ‘पाखण्ड’ से ही हिन्दी को काफी नुकसान हुआ.
उन्होंने चिंता जताई कि देश के अधिकांश उच्च संस्थानों व कार्यालयों में भाषा के नाम पर हम आम लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं और विदेशी भाषा की प्राथमिकता से आम आदमी अपनी बात कह पाने से वंचित हो रहा है. आज़ादी के बाद भी अंग्रेजों की मानसिक गुलामी इस देश से नहीं गई, जबकि जापान व इज़राइल जैसे छोटे राष्ट्र अपनी मातृ भाषा को अपनाकर दुनिया में अपनी तकनीक का लोहा मनवा रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि हिन्दी समारोह का आयोजन कर केवल औपचारिकताएं नहीं निभाई जानी चाहिए, इसे व्यवहारिक रूप दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि देश से उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं का विदेशों के लिए पलायन केवल हिन्दी भाषा में शिक्षा देकर ही रोका जा सकता है.
राज्यपाल ने इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न विभागों एवं बोर्डों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को राजभाषा पुरस्कार वितरित किए. उन्होंने विभिन्न स्पर्धाओं के विजेता विद्यार्थियों को भी पुरस्कृत किया. भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के निदेशक रामकुमार गौतम ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा विभाग द्वारा आयोजित हिन्दी पखवाड़ा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी.
कार्यक्रम के अंत में भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक राकेश कोरला ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया.