राष्ट्रपति चुनाव में मात खाने के बाद विपक्ष दोबारा जीएसटी(वस्तु एवं सेवा कर) के मुद्दे पर एक एकजुट हो रही है. एकबार फिर इसका नेतृत्व कांग्रेस के हाथों में है. आनेवाले दिनों में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल जीएसटी का विरोध कर सकतें हैं. वहीं सत्तारूढ़ एनडीए की सरकार सभी विपक्षी पार्टियों को एकसाथ लाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है.
सरकार ने जीएसटी लागू करने की प्रक्रिया को यादगार बनाने के लिए 30 जून की रात को संसद में सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया है. जीएसटी पर संसद की इस विशेष बैठक में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व के योगदानों को देखते हुए उन्हें भी विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है.
जानकारों का मानना है कि, सरकार जीएसटी के परिणामों के बारे में आश्वस्त नहीं है. केन्द्र सरकार नहीं चाहती कि जीएसटी लागू होने के बाद अर्थजगत में होने वाली परेशानियों के लिए विपक्ष उसे कठघरे में खड़ा करे. वहीं कांग्रेस जीएसटी के असफल होने की स्थिति में सरकार को घेरने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती है.
कांग्रेस के नेता 30 जून को प्रस्तावित सर्वदलीय बैठक का विरोध करने के लिए गहरी मंत्रणा में लगे हैं. कांग्रेस नेताओं के हालिया बयान से लगता है कि कांग्रेस के बड़े नेता विपक्षी दलों के साथ जीएसटी को लेकर आधी-धूरी तैयारी की वजह से सरकार के आयोजन में शामिल होने से बच रहे हैं. कांग्रेस अपने पत्ते जल्द ही खोल सकती है.
कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियां मान रही हैं कि उद्योग जगत के साथ ही छोटे और मझोले कारोबारियों को परेशानी हो सकती है. कांग्रेस को आशंका है कि शुरूआती दिनों में उद्योग और कारोबार जगत में संशय और अफरा-तफरी का माहौल बनेगा.
सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम जीएसटी पर संसद की विशेष बैठक में शामिल नहीं होने के मुद्दे पर अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से गंभीर मंत्रणा कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, माकपा नेता सीताराम येचुरी, राजद प्रमुख लालू प्रसाद, द्रमुक नेता स्टालिन से कांग्रेस की बातचीत चल रही है.
जीएसटी पर संसद के केंद्रीय कक्ष में बुलाई गई विशेष बैठक में कांग्रेस समेत विपक्ष के हिस्सा नहीं लेने के सवाल पर पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने स्थिति साफ नहीं किया. लेकिन सुरजेवाला ने बैठक में शरीक होने पर विपक्षी दलों से मंत्रणा जारी रहने की बात कह साफ संकेत दिया कि कांग्रेस बहिष्कार के विकल्प पर गंभीर हैं.