नई दिल्ली. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को H-1B वीज़ा प्रोग्राम का बचाव करते हुए कहा कि कुछ क्षेत्रों के लिए देश को विदेशी टैलेंट लाने की जरूरत है।
H-1B वीज़ा पर ट्रम्प का U-Turn
Fox News की Laura Ingraham के साथ बातचीत में ट्रम्प ने कहा कि कौशल संपन्न विदेशी कामगारों का योगदान अमूल्य है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका केवल लंबे समय से बेरोजगार अमेरिकियों को मैन्युफैक्चरिंग और डिफेंस जैसे जटिल क्षेत्रों में प्रशिक्षित किए बिना काम पर नहीं लगा सकता। जब उनसे पूछा गया कि क्या H-1B वीज़ा पर प्रतिबंध प्रशासन की प्राथमिकता नहीं होगा, तो ट्रम्प ने स्पष्ट कहा कि हमें देश में टैलेंट लाना भी जरूरी है। लोग सीखना सीखेंगे, लेकिन कुछ खास टैलेंट अमेरिका में उपलब्ध नहीं हैं।
अमेरिका में टैलेंट की कमी
ट्रम्प ने कहा कि नहीं, आपके पास नहीं है… आपके पास कुछ विशेष टैलेंट नहीं है और लोगों को सीखना पड़ेगा। यह नरम रुख उस समय आया है जब ट्रम्प प्रशासन H-1B वीज़ा प्रोग्राम पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है। इस प्रोग्राम के तहत कंपनियां, खासकर टेक्नोलॉजी फर्म, विदेशी कामगारों को अमेरिका में रोजगार देती हैं। भारतीय पेशेवर, जिसमें टेक्नोलॉजी वर्कर्स और चिकित्सक शामिल हैं, H-1B वीज़ा धारकों में सबसे बड़े समूह में आते हैं।
H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि
सितंबर 2025 में, ट्रम्प ने ‘Restriction on Entry of Certain Nonimmigrant Workers’ नामक एक प्रोक्लेमेशन जारी किया। इसके तहत, 21 सितंबर 2025 के बाद दाखिल किए गए कुछ H-1B आवेदन के लिए अतिरिक्त $100,000 शुल्क देना अनिवार्य है।
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने बाद में स्पष्ट किया कि यह नया शुल्क केवल नई H-1B पिटीशन्स या 21 सितंबर के बाद H-1B लॉटरी में प्रवेश करने वालों पर लागू होगा।
वर्तमान वीज़ा धारक और इसके पहले दाखिल किए गए आवेदन इससे प्रभावित नहीं होंगे। इस प्रोक्लेमेशन के अनुसार, 2026 लॉटरी में दाखिल हर नए आवेदन के साथ $100,000 का अतिरिक्त भुगतान अनिवार्य होगा।
