नई दिल्ली. 1958 में स्थापित हुए देश के सबसे पुराने औद्योगिक इकाई हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचइसी) के निजीकरण को रोकने के लिए झारखंड के दस सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है. सभी सांसद भाजपा से जुड़े हुए हैं.
दस सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र में लिखा गया है, “एचइसी एशिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है. हजारों किसानों ने एचइसी के लिए जमीनें दी हैं. एचइसी का निजीकरण षड्यंत्र का हिस्सा है. इससे बेरोजगारी बढ़ेगी.”
सांसद रामटहल चौधरी, बीडी राम, रविन्द्र राय, करिया मुंडा, महेश पोद्दार, रविन्द्र पांडेय, लक्ष्मण गिलुवा, सुनिल सिंह, पीएन सिंह और विद्युत बरन महतो ने पत्र लिखकर एचइसी के आधुनिकीकरण करने की अपील की है.
रांची संसदीय क्षेत्र के सांसद रामटहल चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र सौंपा है. आज उनकी मुलाकात भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते से मुलाकात होना तय है.
एचइसी को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी, हर हाल में मिलेगा एरियर
एचइसी का निर्माण अखंडित सोवियत यूनियन के सहयोग से किया गया था. लगातार घाटे की समस्या से निपटने के लिए मामले को उद्योग और वित्तीय पुनर्निमाण बोर्ड के पास भी भेजा गया था.
झारखंड के सांंसदों के मुताबिक एचइसी के निजीकरण का प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाना है. विभिन्न ट्रेड यूनियन और राजनीतिक दल निजीकरण का विरोध कर रहे हैं.