मंडी(बल्ह विधानसभा). सिविल अस्पताल रत्ती में सिर्फ चुनावी मौसम के दौरान डाक्टरों के कुछ पद भर दिए जाते हैं जबकि बाद में यहां डाक्टर ढूंढने से भी नहीं मिलते हैं. दर्जा बढ़ने के बाद भी अस्पताल की बदहाली खत्म नहीं हो रही है. मंत्री अस्पताल की हालत पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. मंत्री जी का कहना है कि डाक्टरों की कमी के लिए सरकार को दोष नहीं दिया जाना चाहिये.
हिमाचल प्रदेश के संस्थानों के दर्जे बढ़ाने में राज्य सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन सुविधाएं देना भूल गई. ऐसा ही एक जीता जागता उदाहरण है सिविल अस्पताल रत्ती. आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी के गृह विधानसभा क्षेत्र बल्ह के तहत आने वाले इस हास्पिटल का दर्जा पहले सीएचसी का था. बाद में सरकार ने इसे बीना सुविधाओं के सिविल अस्पताल बना दिया. भवन काफी पुराना है और नए भवन का काम अभी अधर में लटका हुआ है.
अस्पताल में हर तरफ गंदगी का आलम है और सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है. कुछ दिन पहले आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी ही अस्वस्थ हो गए थे और उन्हें भी उपचार के लिए यहीं लाया गया था. उस वक्त मंत्री जी को एक कमरे के कोने में लेटाकर उपचार दिया गया था. स्थानीय लोगों का कहना है कि हास्पिटल का सिर्फ दर्जा बढ़ाया गया है जबकि सुविधाएं नाममात्र की भी नहीं हैं. वहीं लोग इस बात को भी जान चुके हैं कि यहां चुनावी बेला में ही कुछेक डाक्टरों को भेज दिया जाता है जबकि बाकी समय उपचार के लिए निजी अस्पतालों या फिर जिला अस्पताल का ही रूख करना पड़ता है.
मौजूदा समय में सिविल अस्पताल रत्ती में बीएमओ सहित 5 डाक्टर तैनात हैं. इनमें से दो दिन के समय और दो रात के समय अपनी सेवाएं देते हैं. गौर करने की बात है कि विशेषज्ञ इनमें से कोई भी नहीं है. हल्की-फुल्की बीमारी है तो ठीक है वरना जोनल हास्पिटल के लिए रैफर कर दिया जाता है. मेडिकल कालेज का ट्रेनिंग सेंटर होने के चलते यहां हर रोज एक विशेषज्ञ की ओपीडी लगती है, लेकिन हर दिन अलग बीमारी का विशेषज्ञ बैठता है. वहीं जब इस बारे में आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी से बात की गई तो उन्होंने रत्ती हास्पिटल की दयनीय हालत पर दुख जताया.
प्रकाश चौधरी के अनुसार डाक्टरों की पूरे प्रदेश में कमी चल रही है और इसके लिए प्रशासन व सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता. बहरहाल स्वास्थ्य संस्थानों का बदहाली का दोषी कौन है और निर्दोष कौन है इसका फैसला अब जनता विधानसभा के चुनावों में ही करने वाली है. क्योंकि यहां लोकतंत्र है और सरकार के हर काम का आंकलन जनता को ही करना है.