नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश में मानसून की तेज़ बारिश से भारी तबाही मची हुई है। लगातार हो रही भारी बारिश के चलते बादल फटने (Cloudburst), अचानक बाढ़ (Flash Flood) और भूस्खलन (Landslides) की कई घटनाएं हुई हैं, जिससे राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ है। अधिकारियों के अनुसार, हिमाचल में अब तक 362 सड़कें (Road closures) बंद कर दी गई हैं, जिससे परिवहन व्यवस्था बाधित हो गई है।
मंडी जिला इस आपदा से सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 220 से अधिक सड़कें बंद हैं। वहीं, कुल्लू जिले में 91 सड़कें अवरुद्ध हैं। राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के ताजा आंकड़ों ने यह जानकारी दी है।
IMD ने येलो अलर्ट किया जारी
मौसम विभाग (India Meteorological Department – IMD) ने रविवार के लिए येलो अलर्ट (Yellow Alert) जारी किया है, जिसमें प्रदेश के विभिन्न इलाकों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी दी गई है। साथ ही, अगले सोमवार से बुधवार तक चार जिलों में ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert) भी जारी किया गया है, जिसमें अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है।
शनिवार को प्रदेश के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। सुंदरनगर, कांगड़ा, मुरारी देवी, शिमला, भुंतर, जुब्बड़हट्टी और जोत जैसे इलाकों में गरज के साथ बारिश हुई, जबकि सियोबाग और धौलाकुआं में तेज़ हवाओं ने तूफानी स्थिति पैदा की।
राज्य आपदा प्रबंधन की रिपोर्ट के अनुसार, इस मानसून सीजन में अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में 112 लोगों की मौत हो चुकी है और 37 लोग लापता हैं। भारी बारिश के कारण बिजली और जलापूर्ति प्रणाली को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कुल 704 बिजली ट्रांसफार्मर और 178 जलापूर्ति नेटवर्क प्रभावित हुए हैं।
20 जून से मानसून के सक्रिय होने के बाद से हिमाचल प्रदेश को लगभग 1,988 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। इस दौरान 58 बाढ़ की घटनाएं, 30 बादल फटने और 53 बड़े भूस्खलन रिपोर्ट किए गए हैं।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जून से 9 अगस्त तक हिमाचल प्रदेश में 503 मिमी बारिश हुई, जो कि सामान्य बारिश 445.7 मिमी से लगभग 13% अधिक है।
हिमाचल प्रदेश का यह मौसमी हालात मानसून और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण और भी जटिल होता जा रहा है। नागरिकों को सतर्क रहने और मौसम अपडेट्स पर नजर बनाए रखने की सलाह दी जा रही है।