नई दिल्ली. हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार के द्वारा लघु खनिज को लेकर बनाये गये नीति पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने सरकार को दोबारा संशोधित शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. सुनवाई के समय न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और बीबी मंगलमूर्ति ने कहा कि शपथ पत्र में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है.
सरकार ने दिये गये अपने शपथ-पत्र में कहा कि पर्यावरण और वन मंत्रालय ने लघु खनिज को लेकर जो गाइडलाइन जारी किया है उसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अप्रूव किया है. उसी के आधार पर प्रत्येक जिले में डिया (डिस्ट्रिक्ट इनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथारिटी) का गठन किया गया है.
सरकार की ओर से पेश की गई दलील पर टिप्पणी करते हुये कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार के गाइडलाइन में कुछ गैप है, जिसे पूरा करने पर सरकार को विचार करना चाहिये. कोर्ट ने डीया की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुये कहा कि एक ही समिति को कई जिलों की जिम्मेवारी दे दी गई है. इससे काम में देरी हो सकती है.
मालूम हो कि पहाड़ों के अवैध खनन और अवैध क्रसर पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. पूर्व में सुनवाई करते हुए अदालत ने अवैध खनन पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. साथ ही लघु खनिज नीति तय करने का भी निर्देश दिया है।