नई दिल्ली. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लंबित पंचायत और नगरपालिका चुनाव एक साथ कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि पूरा चुनावी प्रोसेस 15 अप्रैल 2026 तक हर हाल में पूरा होना चाहिए। साथ ही पंचायतों और नगर निकायों के लिए डिलिमिटेशन प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक खत्म करने को कहा गया है।
याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट का बयान
शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस. पी. शर्मा और न्यायमूर्ति संजीत पुरीहित की खंडपीठ ने पंचायतों के पुनर्गठन व डिलिमिटेशन से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि डिलिमिटेशन प्रक्रिया को दोबारा चुनौती नहीं दी जा सकती। इस आदेश के बाद राज्य में 11,000 से अधिक ग्राम पंचायतों और 309 शहरी निकायों में चुनाव कराने की तैयारी तेज हो जाएगी।
संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप
पूर्व विधायक संयम लोढ़ा समेत 438 याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि चुनाव टालना संविधान के अनुच्छेद 243(E) और 243(K) तथा राजस्थान पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 17 का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं के वकील पी. सी. देवांडा ने कहा कि चुनाव स्थगित होने से 6,700 से अधिक पंचायतों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हुई है। उन्होंने तर्क दिया कि निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक नियुक्त नहीं किया जा सकता।
चुनाव तिथियों पर सरकार ने नहीं दिया जवाब
कोर्ट ने चुनाव कार्यक्रम पर सटीक तारीख नहीं बताने के लिए महाधिवक्ता पर नाराजगी जताई। बोर्ड परीक्षाओं से टकराव वाली पुरानी समयसीमा को संशोधित करते हुए हाईकोर्ट ने नई अंतिम तिथि तय की है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब राजस्थान सरकार को तेजी से डिलिमिटेशन प्रक्रिया पूरी कर पंचायत और नगरपालिका चुनाव एक साथ कराने होंगे। राज्य में हजारों पंचायतों और 300 से अधिक नगरीय निकायों में लंबे समय से लटके चुनाव अब तय समय में पूरे कराना अनिवार्य हो गया है।
