शिमला. हिमाचल विधानसभा चुनावों में बीजेपी जीत का जश्न मना रही है. जाहिर है जनता ने अबकी भाजपा पर भरोसा जताया है. मगर एक बात जो चिंताजनक है वो ये कि जनादेश ने फिर बेटियों पर भरोसा नहीं दिखाया. जबकि नारी उत्थान पर समारोहों ही नहीं, चट्टी-चौराहों पर भी विमर्श होते रहते हैं.
इस बार भी 17 महिला उम्मीदवारों में से सिर्फ 4 महिलाएं ही इस चुनाव में जीत दर्ज कर पाई हैं. प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियों ने कुल मिलाकर मात्र 9 महिला उम्मीदवारों पर दांव खेला था, इसके अलावा अन्य 8 महिलाएं मैदान में उतरी थी. भाजपा ने 6 महिलाओं पर जबकि कांग्रेस पार्टी ने मात्र 3 महिलाओं पर भरोसा जताया था. इनमे से 4 का जीतना अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
जितने वाली महिलाओं में इंदौरा से भाजपा की रीता धीमान ने 1073 वोटों से जीत दर्ज की. शाहपुर से भाजपा की सरवीण चौधरी ने 6147 मतों से जीत हासिल की. वहीं डलहौजी से कांग्रेस की आशा कुमारी ने 556 वोटों से जीत दर्ज की. जबकि भोरंज से भाजपा की कमलेश कुमारी 6892 मतों से विजयी हुई.
रोहड़ू से भाजपा की शशि बाला, कसुम्पटी से विजय ज्योति सेन, मंडी से कांग्रेस की चंपा ठाकुर, देहरा से कांग्रेस विप्लव ठाकुर और पालमपुर से भाजपा की इंदु गोस्वामी इन चुनावों में हार गई.
उधर 2012 के चुनावों में 34 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था लेकिन मात्र 3 महिलाएं ही विधानसभा की दहलीज तक पहुंच पाई थी. विधानसभा चुनावों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने मतदान में बढ़चढ़ कर भाग लिया. इस लिहाज से मात्र 4 महिलाओं का विधानसभा पहुंचना संतोषजनक नहीं है.