मंडी. पंचायत टाइम्स की टीम इस बार मंडी पहुंच कर नेर चौक से लाइव हुई. हमारी विशेष संवाददाता सीमा शर्मा ने कर्मचारियों से बात कर जानने की कोशिश की, हिमाचल में विधान सभा चुनावों के बीच वह अपने आप को एक वोटर समूह की तरह कैसे देख रहे हैं, उनकी सामूहिक दिक्कतें क्या हैं और भावी प्रदेश सरकार से उनकी क्या उम्मीदें हैं?
सीमा शर्मा बताती हैं कि प्रदेश में कर्मचारियों की कुल संख्या लगभग 7 लाख के करीब है. यह कर्मचारी हिमाचल के विभिन्न विभागों जैसे शिक्षा, बागवानी और कृषि वगैरह में काम करते हैं. आगामी चुनावों में एक वोटर समूह के रूप में यह प्रदेश का सबसे बड़ा समूह होगा.
इस लाइव में पवन सैनी, जो कृषि विभाग में कार्यरत हैं, राकेश कुमार, बागवानी विभाग से और शिक्षा विभाग के सदस्यों ने भाग लिया. पवन सैनी सबसे पहले पेंशन खत्म करने की नीति से हो रही परेशांनियों का जिक्र करते हैं और अनुबंध पर कर्मचारियों को रखने की नीति को खत्म करने की मांग रखते हैं. शिक्षा विभाग के नरेंद्र कुमार वीरभद्र सरकार से अपनी निराशा जाहिर करते हुए कहते हैं कि धूमल सरकार ने कर्मचारियों की बहुत सी मांगें मानी थीं जिन्हे वीरभद्र ने एक ही बार में खत्म कर दिया.
इसके बाद बागवानी विभाग के अनुबंध पर रखे गये डॉ. राकेश कुमार अपनी बात रखते हैं कि वीरभद्र सरकार ने हमें नियमित किया लेकिन इसके बावजूद कुछ कमियां हैं जिस पर सरकार से बात हो रही है और सरकार ने हमें लगातार उम्मीद दिलायी हुई हैं. हमारा मुख्य मुद्दा पे पैरिटी का है जो पंजाब सरकार अपने यहां साल 2011 में लागू कर चुकी है और हमारी इस बाबत धूमल और वीरभद्र दोनों ही सरकारों से बारी-बारी बात हुई है लेकिन अब तक यह मुद्दा सुलझ नहीं पाया है.
भर्तियों एवं पदोन्नति की जो नीतियां है उसी के आधार पर भर्तियां और पदोन्नति के फैसले लिये जाने चाहिये. नियमित करने की नीति में भी तमाम तरह की असमानतायें हैं जिन्हे सरकार को दूर करना चाहिये.