गतांक से आगे…
कुल्लू से काँगड़ा जाने के लिए एक बार फिर मंडी आना पड़ा, और वहां से धर्मशाला का रास्ता पकड़ा. अब हमारा और ब्यास का साथ छूट गया. हम द्रंग होते हुए काँगड़ा की ओर बढ़ चले और ब्यास नदी, संढोल होते हुए पंजाब को.
द्रंग के आगे काले नमक के पहाड़ मिलते हैं. थोड़ा कम नमकीन पर ज्यादा स्वादिष्ट ये नमक यहाँ पहाड़ी खानों से निकाला जाता है. मंडी जिले के गुम्मा और द्रंग में इसकी बड़ी खानें हैं जो बंद हो गयी थीं. केंद्र सरकार ने यहाँ काम शुरू करने के लिए कुछेक करोड़ रुपये का पैकेज नेशनल साल्ट कारपोरेशन को दिया था, लेकिन खनन अभी भी शुरू नहीं हो पाया है, जिसके चलते स्थानीय लोगों में गुस्सा है.
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कांगड़ा की सीमा पर ही बीर और बिलिंग के कसबे हैं, जो पारा-ग्लाईडिंग के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं. उससे थोड़ा आगे आता है पालमपुर, जो हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष ब्रिज बिहारी लाल बुटेल का विधानसभा क्षेत्र है. अगर आप बिना बंगाल-आसाम जाये चाय के बागान देखना चाहते हैं तो पालमपुर में आपका स्वागत है। यहां कई एकड़ में चाय की खेती होती है और यहां की चाय शौकीनों की नज़र में एक अलग स्वाद रखती है.
कांगड़ा का जिला मुख्यालय धर्मशाला में है, जहां से तिब्बत की निर्वासित सरकार अब भी अपना काम काज चलाती है.कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री और जिले की राजनीति के बड़े दिग्गज जी एस बाली भी यहीं की नगरोटा विधानसभा से विधायक हैं.कांगड़ा हिमाचल का सबसे बड़ा जिला है जहाँ १५ विधानसभा सीटें हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने १० सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते. ऐसे में मात्र तीन सीटों पर सिमटी भाजपा के लिए यही जिला वॉटरलू का मैदान साबित हुआ था जहाँ सरकार बनाने के उसके सपने ढह गए थे. इसलिए इस बार कांगड़ा पर पार्टी हाई कमान की पैनी नज़र बनी हुई है. प्रदेश के भाजपा प्रभारी बिहार के मंगल पाण्डेय भी उसी दिन कांगड़ा के एक हिस्से में बैठक कर रहे थे. जनसँख्या और दूरी के लिहाज से कांगड़ा को चार जिलों- पालमपुर, देहरा, नूरपुर और धर्मशाला में बाँट देने की मांग जोर शोर से उठ रही है.
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धर्मशाला के बाद ऊँचे पहाड़ विदा लेते हैं और आगे हमीरपुर का रास्ता ढलान से होकर गुजरता है. पांच सीटों वाला छोटा सा जिला हमीरपुर हिमाचल की राजनीति में एक बड़ा कद रखता है, क्यूंकि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू दोनों यहीं से हैं. आम लोगों की राय में जहां हमीरपुर सदर के विधायक धूमल जमीन से जुड़े हुए राजनेता हैं वहीँ नादौन सीट से चुनाव हार चुके सुक्खू के पक्ष में ऐसी कोई आम राय नहीं दिखती, जिनके व्यवहार को लेकर काफी शिकायतें हैं. भाजपा का प्रभाव जिले में साफ़ दिखता है और पिछले चुनाव में भी जहां कांगड़ा में उसकी दुर्गति हुई वहीँ हमीरपुर में पांच में से तीन सीटों पर उसने जीत दर्ज की.
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अगले दिन दिल्ली वापसी थी, लेकिन लौटने से पहले शक्तिपीठ कहे जाने वाले ज्वालामुखी मंदिर में दर्शन करने के लिए फिर कांगड़ा की सीमा तक गए. ऊना के रास्ते लौट रहे हैं. श्रावण नवरात्र शुरू हो चुके हैं, जो हिमाचल और पंजाब में बड़े त्यौहार का दर्जा रखते हैं. रास्ते भर ऊना के चिंतपूर्णी मंदिर और ज्वालामुखी मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के जत्थे चले आ रहे हैं. जगह जगह भंडारे और लंगर चल रहे हैं. पूरी हिमाचल यात्रा के दौरान हम लोग भी श्रद्धालुओं के लिए बंटती खीर की दावत उड़ाते रहे थे. गाड़ी चल रही है, दिल्ली की ओर बढ़ रही है लेकिन मन हिमाचल में ही कहीं छूट गया है.