नई दिल्ली. हिमाचल की राजनीति में विक्रमादित्य को राजकुमार कहें तो गलत नहीं होगा. विक्रमादित्य सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के इकलौते बेटे हैं. वीरभद्र को जहां राजा कहा जाता है वहीं विक्रमादित्य सिंह राजकुमार बनकर हिमाचल में चुनाव लड़ रहे हैं. जिनके लिये पूरा शाही परिवार उनके लिये प्रचार करते देखे जा सकते हैं. इस रिपोर्ट में हम लेकर आए हैं, विक्रमादित्य सिंह की पूरी कहानी.
क्या-क्या करते हैं युवराज
9 नवंबर को चुनाव है और मैदान में हैं वीरभद्र के सपूत विक्रमादित्य सिंह. इस वक्त हिमाचल चुनाव का युवा चेहरा
बनकर चुनावी घमासान को जीतने के लिये निकल चुके हैं. हिमाचल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि शिमला ग्रामीण सीट के क्षेत्र में 2012 से काम कर रहे हैं. वहीं से अब चुनावी मैदान में बाजी मारने के मूड में है. पूरा दिन चुनावी प्रचार करने के बाद शाम को सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट को खंगालते हैं.

किससे है टक्कर
कई बार फेसबुक पर लाइव प्रचार करते हुए देखे गए हैं. उनको टक्कर देने भाजपा से मैदान में प्रमोद शर्मा हैं, जो कड़ी टक्कर देते नजर आते रहते हैं. बता दें कि शिमला ग्रामीण सीट को बाप ने ही बेटे के लिये छोड़ा है. सवाल यह उठता है कि क्या वीरभद्र के बाद क्या विक्रमादित्य सिंह भविष्य में मुख्यमंत्री के दावेदार हैं ?
दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई
विक्रमादित्य सिंह ने अपनी पढ़ाई शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय से
उच्च शिक्षा प्राप्त की. विक्रमादित्य सिंह राजनीति का ककहरा सीख रहे हैं. इसके साथ ही खेल-कूद में भी दिलचस्पी लेते हैं. साईकल चलाना इन्हें पसंद है. एडवंचर करना विक्रमादित्य को बेहद पसंद है.