शिमला. हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय द्वारा पीटरहॉफ में ‘21वीं सदी में कानून एवं न्याय में निर्देशात्मक बदलाव-चुनौतियां एवं अवसर’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं कुलपति हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय न्यायमूर्ति संजय करोल शामिल हुए. सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सामाजिक विचारों व दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव कानून के तहत विभिन्न व्यवस्थाओं द्वारा संभव हुआ है.
‘बाल विवाह व दहेज प्रथा की रोकथाम में कोर्ट की भूमिका’
न्यायमूर्ति ने कहा कि देश में विभिन्न विकास क्रमों व सामाजिक सुधारों को कानून के माध्यम से ही सूनिश्चित किया गया है. उन्होंने कहा कि संवेदनशील मसलों पर मानक तय कर कानून ने कमजोर व असहाय वर्ग के हितों का संरक्षण किया है. उन्होंने कहा कि सती प्रथा, बाल विवाह व दहेज प्रथा की रोकथाम, बेटियों को जायदाद में हिस्सेदारी तथा छुआछूत को अवैध करार देने के अतिरिक्त बहुत से एसे बिन्दु हैं जिसमें कानून के माध्यम से नियम बनाकर इन्हें लागू किया गया है.
महिलाओं के तुष्टिकरण पर चिंता वयक्त की गई
इस अवसर पर उन्होंने गुरविन्दर सिंह द्वारा लिखित पुस्तक तथा विश्व विद्यालय की स्मारिका का भी विमोचन किया. विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह में उपस्थित राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा सिंह ने न्यायिक प्रणाली व न्यायाल्यों में महिलाओं के तुष्टिकरण व उनके प्रति अनुचित व्यवहार पर चिन्ता व्यक्त की. समारोह में प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमुर्ति त्रिलोक चैहान, न्यायमुर्ति विवेक ठाकुर, न्यायिक प्रणाली के अन्य संस्थानों के पदाधिकारी व बाहर से आए प्रतिनिधियों के अतिरिक्त राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.