ऊना. वन्य प्राणी को पकड़ने के लिए जाल लगाना, चाहे कोई वन्य प्राणी पकड़ा जाए या नहीं, फिर भी जाल लगाना अपराध माना जाएगा, क्योंकि यह प्रक्रिया वन्य प्रणाणियों को नुकसान पहुंचाने अथवा मारने की दृष्टि से एक किया गया प्रयास है. यह बात वन मण्डलाधिकारी यशुदीप सिंह ने कही.
ऊना में माह अक्टूबर से वन्य प्राणी जीव सरंक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन्य प्राणियों के शिकार से संबन्धित दण्ड के प्रावधानों बारे में पंचायत स्तर तक चलाए गये. अभियान के तहत लोगों को जागरूक करते हुए दी. अभियान के तहत पंचायत स्तर पर पर्चों का वितरण और प्रत्येक पंचायत घर में सूचना बोर्ड पर पोस्टर भी चस्पा किए गये.
इसलिए लोगों को किया जागरूक
वन मण्डलाधिकारी ने बताया कि वन क्षेत्र के साथ लगते निजी भूमि क्षेत्रों में कुछ स्थानीय व बाहरी लोगों द्वारा जंगली जानवरों तथा पक्षियों को मारने एवं पकड़ने के दृष्टि से जाल लगाए जाने से संबन्धित घटनाओं की सूचनाएं प्राप्त हुईं थी. इसी के दृष्टिगत माह अक्टूबर से प्राणी जीवन संरक्षण अधिनियम के तहत वन्य प्राणियों के शिकार से संबन्धित निर्धारित दण्ड के प्रावधानों बारे वनरक्षकों द्वारा लोगों को जागरूक किया गया.
अपराध की श्रेणी में आता है
उन्होंने बताया कि जंगली जानवरों एवं पक्षियों को गोला-बारूद, धनुष और बाण, विस्फोटक, आग्नेयास्त्र, कांटे चाकू, जाल, विष, फन्दे और पाश तथा कोई भी ऐसा उपकरण या औजार आता है, जिससे किसी प्राणी को बेहोश किया जा सकता है, धोखे से पकड़ा जा सकता है, नष्ट किया जा सकता है, क्षतिग्रस्त किया जा सकता है या मारा जा सकता है यह सभी शिकार अपराध की श्रेणी में आते हैं.
इतना देना होगा जुर्माना
उन्होंने बताया कि जंगली जानवरों को मारना अपराध गैर जमानती है और अधिनियम के तहत दोषी को तीन से सात वर्ष तक कैद का प्रावधान है. इसके अतिरिक्त दस हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान भी है. जानवर का शिकार जो जंगली जानवर जो अनुसूचित -। अनसूचि भाग-।। का भाग नहीं है उनका शिकार करने पर तीन वर्ष तक कैद या 25 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है.