नई दिल्ली. प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वारा जनगणना के साथ Caste-based Census की घोषणा के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक गंभीर कदम उठाने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, संघ एक ऐसी समिति के गठन पर विचार कर रहा है, जो caste system की जमीनी स्थिति का evidence-based analysis करेगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जातिगत आंकड़ों (caste data) का उपयोग केवल social welfare schemes की दक्षता बढ़ाने के लिए हो, न कि राजनीतिक लाभ के लिए।
समिति करेगी Ground-Level Caste Realities का आकलन
RSS के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि इस समिति का सुझाव आंतरिक चर्चा के दौरान सामने आया। इसका उद्देश्य होगा कि मौजूदा caste data का विश्लेषण किया जाए और ज़रूरत पड़ने पर ताजा सर्वेक्षण भी कराए जाएं, जिससे यह जाना जा सके कि किस वर्ग तक सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही तरीके से पहुंच रहा है। साथ ही समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि राज्य और केंद्र सरकारों को policy formulation के लिए प्रमाण-आधारित सुझाव दिए जा सकें।
राजनीतिक फायदे के लिए Caste Data का misuse न हो: RSS
RSS की हमेशा से यह मान्यता रही है कि जाति पर आधारित किसी भी प्रक्रिया का उद्देश्य divisive politics को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि सामाजिक एकता (social cohesion) को मजबूती देना होना चाहिए।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि देश में कई ऐसी ताकतें हैं जो लंबे समय से हिंदुओं को caste identity के नाम पर बांटने की कोशिश कर रही हैं। हम नहीं चाहते कि caste data का इस्तेमाल भी एक political weapon की तरह हो। इसका असली मकसद upliftment होना चाहिए, न कि vote bank politics।
RSS की रणनीति: पारदर्शिता और Fair Usage पर ज़ोर
RSS का रुख इस मसले पर संतुलित है। वह caste-based inequality को नकारता नहीं, लेकिन इसका समाधान social integration और equal opportunity में देखता है, न कि electoral gains में।
प्रस्तावित समिति की सिफारिशों में निम्नलिखित बिंदुओं पर ज़ोर होगा:
- Transparency और डेटा उपयोग की निगरानी
- Electoral misuse पर नियंत्रण
- Welfare-centric recommendations की पहचान
एक पदाधिकारी के अनुसार,हम ऐसा structure चाहते हैं जो governments को निष्पक्ष फैसले लेने में support करे, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि कोई caste census data को political benefit के लिए manipulate न कर सके।”
RSS की पहल ऐसे समय में क्यों अहम है?
जब देश में caste identity politics एक नई ऊंचाई पर है, RSS की यह पहल एक वैकल्पिक सोच को सामने लाती है — जहाँ जातिगत आंकड़ों का इस्तेमाल सामाजिक समरसता और inclusive development के लिए किया जाए।
RSS के इस non-political caste analysis approach को एक ऐसी कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है जो पूरे देश में social harmony को प्राथमिकता देते हुए policy-driven transformation की दिशा में आगे बढ़ता है।
RSS का caste census को लेकर सामाजिक समरसता आधारित नजरिया एक बड़ा संकेत है कि भारत में caste-based data को अब सिर्फ वोटों के गणित से नहीं, बल्कि public welfare and social equity के नजरिए से देखा जाना चाहिए। यदि यह पहल सही दिशा में जाती है, तो यह देश की caste discourse को एक नई दिशा दे सकती है राजनीति से ऊपर उठकर समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाने की दिशा में।