नई दिल्ली. भारत ने चीन के उस दावे पर कड़ा विरोध जताया है जिसमें बीजिंग ने कहा था कि दलाई लामा के अगले अवतार (Dalai Lama Successor) को मंजूरी देने का अधिकार केवल चीन का है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने स्पष्ट किया कि दलाई लामा और उनके उत्तराधिकारी के चयन का अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा के आधिकारिक कार्यालय यानी गादेन फोडरंग ट्रस्ट (Gaden Phodrang Trust) के पास है। रिजिजू धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के कार्यक्रमों में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उन्होंने कहा, “यह एक धार्मिक अवसर है और इसमें राजनीतिक दखलअंदाजी अनुचित है।
धार्मिक परंपराओं और ऐतिहासिक सम्मेलनों के अनुसार होना चाहिए
चीन ने कहा है कि दलाई लामा के अगले पुनर्जन्म (Dalai Lama Reincarnation) को उसकी मंजूरी लेनी होगी, जो उसने अपने कानून और नियमों के आधार पर तय किया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन चीन के कानून, धार्मिक परंपराओं और ऐतिहासिक सम्मेलनों के अनुसार होना चाहिए।
नेता दलाई लामा 1959 के बाद से भारत में निर्वासन में हैं
तिब्बती निर्वासित नेता दलाई लामा 1959 के बाद से भारत में निर्वासन में हैं, जब वे चीन के शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद ल्हासा से भाग निकले थे। बीजिंग उन्हें अलगाववादी बताता है, जबकि विश्व स्तर पर उन्हें अहिंसा, करुणा और तिब्बती संस्कृति के संरक्षक के रूप में देखा जाता है।
तिब्बती समुदाय और कई विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि चीन भविष्य में अपने समर्थित दलाई लामा को स्थापित करने की कोशिश कर सकता है, जिससे तिब्बत पर उसका नियंत्रण और मजबूत हो जाएगा।