नई दिल्ली. हाल ही में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते पर भारत ने सतर्क रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी गहरी और व्यापक है, और उम्मीद है कि यह साझेदारी पारस्परिक हित और संवेदनाओं का ध्यान रखेगी।
सऊदी अरब-पाकिस्तान रक्षा समझौता: जानिए क्या है अहमियत
बुधवार को सऊदी अरब और पाकिस्तान ने “रणनीतिक आपसी रक्षा” समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत किसी भी देश पर हमला होने पर इसे दोनों देशों के खिलाफ हमला माना जाएगा।
समझौते पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दस्तखत किए।
समझौते में कहा गया है कि यह दोनों देशों की सुरक्षा बढ़ाने और क्षेत्र तथा वैश्विक शांति स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके तहत रक्षा सहयोग को मजबूत करने और किसी भी आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त निवारक क्षमता विकसित करने पर जोर दिया गया है।
हाल की सीमा तनाव के बाद समझौते की अहमियत
यह समझौता भारत-पाकिस्तान के हाल ही में हुए चार दिवसीय संघर्ष के कुछ महीनों बाद हुआ है। मई 7 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में कई आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया था, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में किया गया। संघर्ष का अंत पाकिस्तान के DGMO द्वारा भारतीय समकक्ष को 10 मई को कॉल करने और सभी शत्रुता बंद करने के आग्रह के बाद हुआ।
MEA ने पाकिस्तान पर आतंकवाद समर्थन का आरोप लगाया
उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में रंधीर जयसवाल ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया और कहा कि भारत को सीमा पार आतंकवाद और वैश्विक आतंकवाद से निपटना आवश्यक है। आतंकवाद मामलों पर हम स्पष्ट हैं कि दुनिया जानती है कि आतंकवादियों और पाकिस्तानी राज्य एवं सेना के बीच संबंध हैं। वैश्विक समुदाय को आतंकवाद से निपटने के लिए प्रयास तेज करने चाहिए।
