नई दिल्ली. भारत को अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। सिंगापुर में आयोजित इंटरपोल की 25वीं एशियन रीजनल कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत को INTERPOL Asian Committee का सदस्य चुना गया। यह चुनाव कई चरणों वाली वोटिंग प्रक्रिया के बाद हुआ।
भारत की वैश्विक पुलिसिंग में मजबूत भूमिका
इस सदस्यता के साथ ही भारत की वैश्विक पुलिसिंग और सुरक्षा सहयोग में भूमिका और मजबूत होगी। एशियन कमेटी का काम एशियन रीजनल कॉन्फ्रेंस को सलाह देना, अपराध से लड़ने की प्राथमिकताओं को तय करना और क्षेत्रीय पुलिस सहयोग को बेहतर बनाना है।
संगठित अपराध और आतंकवाद पर होगा प्रहार
भारत की इस सदस्यता से संगठित अपराध, साइबरक्राइम, आतंकवाद, ड्रग्स और मानव तस्करी जैसे गंभीर अपराधों से निपटने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ेगा। यह कदम भारत की Global Policing Goals के प्रति प्रतिबद्धता और ट्रांसनेशनल लॉ एनफोर्समेंट में सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
भारत का प्रतिनिधित्व CBI ने किया
इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की टीम ने किया। इस चुनाव में जीत भारतीय राजनयिकों, दूतावासों, उच्चायोगों और NCB-India के सामूहिक प्रयासों से संभव हुई। कई देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रणनीतिक सहयोग ने भारत को इस चुनाव में मजबूत समर्थन दिलाया।
भगोड़ों की तलाश में मददगार
भारत लंबे समय से उन अपराधियों और भगोड़ों पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रहा है, जो हत्या, वित्तीय धोखाधड़ी और आतंक से जुड़े मामलों के बाद देश छोड़कर भाग गए। साल 2023 से भारत की ओर से जारी Interpol Red Notices की संख्या दोगुनी हो चुकी है। अब INTERPOL Asian Committee का सदस्य बनने के बाद ऐसे भगोड़ों के खिलाफ कार्रवाई और आसान होगी।
सिद्धू मूसेवाला हत्या से लेकर आर्थिक अपराधियों तक
हाल के वर्षों में कई गैंग और संगठित गिरोह भारत में आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या और खालिस्तानी समर्थकों की सक्रियता इसका बड़ा उदाहरण है। वहीं, ललित मोदी, नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे वित्तीय अपराधियों पर भी अब दबाव और बढ़ेगा।
भारत की यह उपलब्धि न केवल उसके अपराध-नियंत्रण प्रयासों को गति देगी बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी सुरक्षा और कानून प्रवर्तन की छवि को और मजबूत करेगी।