शिमला. हिमाचल विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को 7 जनवरी से पहले अपने चुनावी खर्चे का ब्योरा जमा करवाना होगा. राज्य निर्वाचन विभाग ने चुनाव लड़ने वाले सभी 412 उम्मीदवारों को तय समय अवधि के भीतर अपना चुनावी खर्चा जमा करवाने को कहा है.
निर्वाचन विभाग ने भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-78 के प्रावधानों के अनुसार निर्वाचन लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों द्वारा परिणाम की घोषणा की तिथि से 30 दिनों के भीतर यानी 7 जनवरी से पहले अपने निर्वाचन व्यय लेखे संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी (उपायुक्त) के समक्ष जमा करवाया जाना अनिवार्य किया है.
40 लाख खर्च की अधिकतम सीमा
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 के तहत विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्चा की अधिकतम सीमा 40 लाख रूपए है. परिणाम की घोषणा के बाद जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा बैठक कर उम्मीदवार के व्यय रजिस्टर का मिलान शैडो रजिस्टर के साथ किया जाता है.
राज्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने कहा कि अगर कोई अभ्यर्थी तय अवधि के भीतर बिना किसी न्यायसंगत कारण से अपने निर्वाचन व्यय लेखे जमा नहीं करवाता है तो उस दिशा में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-10 के प्रावधानों के अनुसार अयोग्य घोषित किया जा सकता है. चुनाव संबंधी खर्चे में प्रत्याशी को सभी तरह के खर्चे दर्शाने होगे जिसमें खाने-पीने से लेकर गाड़ियों के इस्तेमाल और दूसरे अन्य चुनाव संबंधी खर्चे शामिल है.
चुनाव आयोग ने की ये तैयारी
इससे पहले निर्वाचन विभाग 3 बार उम्मीदवारों से खर्चे का ब्यौरा ले चुका है. अबकी बार उम्मीदवारों से यह अंतिम बार खर्चे का ब्योरा लिया जा रहा है, जिसे राज्य निर्वाचन विभाग ने बेहद जरूरी बताया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्चे की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपए तय की गई थी.
उम्मीदवारों द्वारा तय किए गए दैनिक खर्चे रजिस्टर कैश रजिस्टर पर बैंक रजिस्टर का मिलान शहडोल रजिस्ट्रार के साथ किया जा रहा है, सभी दस्तावेजों को सही ढंग से तैयार करने के लिए संबंधित जिलों के बचत भवन में निर्वाचन विभाग के अधिकारी चुनाव के दौरान नियुक्त किए गए सहायक व्यय पर्यवेक्षक और अकाउंटिंग टीम के सदस्य और काउंटिंग टीम के सदस्य उम्मीदवारों की मदद कर रहे.
ब्योरा नहीं देने पर 3 साल तक सदस्यता खारिज
उन्होंने कहा कि चुनावी खर्च का ब्योरा तय समय पर प्रस्तुत न करने पर आयोग उम्मीदवार की आगामी 3 साल के लिए सदस्यता खारिज कर सकता है. इस अवधि के दौरान उम्मीदवार किसी भी प्रकार के चुनाव नहीं लड़ पाएगा.