नई दिल्ली. जगदीप एस. छोक्कर, जो एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के सह-संस्थापक और भारत में स्वच्छ व निष्पक्ष चुनावों के लिए आवाज उठाने वाले प्रमुख व्यक्तित्व थे, का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से दिल्ली में निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। पीटीआई ने एडीआर सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। वे भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद में प्रोफेसर रह चुके थे और 1999 में अपने साथियों के साथ एडीआर की स्थापना की थी।
प्रारंभिक जीवन, शिक्षा और करियर
जगदीप छोक्कर का जन्म 25 नवंबर 1944 को हुआ। करियर की शुरुआत उन्होंने भारतीय रेलवे में की थी, लेकिन बाद में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए किया और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका के लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी प्राप्त की।
1985 में वे IIM अहमदाबाद में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने संगठनात्मक व्यवहार (Organisational Behavior) पढ़ाया। 2006 में सेवानिवृत्त होने तक उन्होंने डीन और निदेशक-प्रभार जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
एडीआर क्या है?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) एक प्रमुख गैर-राजनीतिक, गैर-सरकारी संस्था है, जिसे IIM अहमदाबाद के प्रोफेसरों – त्रिलोचन शास्त्री, जगदीप छोक्कर और अजीत रणाडे ने मिलकर 1999 में स्थापित किया। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में चुनावी और राजनीतिक सुधारों को बढ़ावा देना, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना तथा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत बनाना है।
एडीआर के प्रमुख कार्य और पहल
इलेक्शन वॉच (Election Watch):
एडीआर का सबसे चर्चित कार्यक्रम है, जिसमें चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण कर उनके आपराधिक रिकॉर्ड, वित्तीय स्थिति और शैक्षणिक योग्यता की जानकारी जनता तक पहुँचाई जाती है। इससे मतदाता जागरूक होकर बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
चुनावी खर्च विश्लेषण (Election Expenses Analysis)
एडीआर सांसदों और विधायकों द्वारा चुनाव में किए गए खर्च की जानकारी जुटाकर प्रकाशित करता है, जिससे चुनावों में वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है।
राजनीतिक पारदर्शिता के लिए वकालत
एडीआर ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास किए। इसके चलते उम्मीदवारों को अपने आपराधिक, आर्थिक और शैक्षणिक विवरण हलफनामे के माध्यम से अनिवार्य रूप से सार्वजनिक करने का नियम लागू हुआ।
कानूनी हस्तक्षेप
एडीआर ने कई बार न्यायालय में चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी खामियों के खिलाफ केस दायर किए। उदाहरण के लिए, इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुप्त और अनियमित राजनीतिक चंदे को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
छोक्कर की विरासत
जगदीप छोक्कर का जीवन लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण का उदाहरण है। उन्होंने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया बल्कि भारत में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा समर्पित की। एडीआर के माध्यम से उनकी पहल ने लाखों मतदाताओं को सशक्त बनाया और लोकतंत्र की गुणवत्ता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी विदाई भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी छोड़ी हुई पहल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
