शिमला: जेई सिविल के पेपर लीक मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि जेई सिविल का पेपर एक लाख रुपए में बेचा गया था. विजिलेंस की जांच में आरोपी ट्रैफिक इंस्पेक्टर के बैंक खाते से वित्तीय लेन-देन के ट्रांजेक्शन मिले हैं.
जांच में मिले कई अहम साक्ष्य
पोस्ट कोड 971 परीक्षा की जांच में एसआईटी को कई आपत्तिजनक साक्ष्य मिले हैं. हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग बेशक भंग कर दिया गया हो, लेकिन इस आयोग के पेपर लीक के मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं. विजिलेंस ब्यूरो ने बीते शनिवार को जेई सिविलपोस्ट कोड 970 भर्ती परीक्षा में एफआईआर दर्ज की थी.
जेई सिविल के पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपी उमा आजाद नहीं है, बल्कि हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सचिव के साथ एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर को इसमें आरोपी बताया गया है. यह वही ट्रैफिक इंस्पेक्टर है, जिसे रिजल्ट घोषित होने और नियुक्ति के बाद टर्मिनेट किया गया था. ट्रैफिक इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की एफआईआर में भी यह नामजद है.
1 लाख रुपए में बेचा गया था JE सिविल का पेपर
विजिलेंस ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार इसी व्यक्ति ने जेई सिविल का पेपर लीक किया और आगे बेचा. दो अभ्यर्थियों के साथ एक लाख की ट्रांजेक्शन पेपर लेने के बदले हुई है. इसी के साथ पेपर लीक मामले की जांच के तार कुल्लू जिला से जुड़ गए हैं, क्योंकि इसमें लाभार्थी अभ्यर्थी कुल्लू जिला से है. जेई सिविल पेपर लीक मामले में विजिलेंस की एसआईटी ने चार लोगों को आरोपी बनाया है.
गौर हो कि जेई सिविल की लिखित परीक्षा 10 सितंबर 2022 को हुई थी. कुल 11 पदों पर यह भर्ती होनी थी और 36 अभ्यर्थियों को पास घोषित किया गया था. विजिलेंस ब्यूरो ने कुल पांच पोस्ट कोर्ट में एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी सरकार से मांगी थी.
इनमें से पोस्ट कोड 899 ऑक्शन रिकॉर्डर और पोस्टकोड 970 जेई सिविल में मामला दर्ज किया गया है. अब तीन अन्य पोस्टकोड में भी विजिलेंस जल्द ही केस दर्ज कर सकती है. इनमें पोस्टकोड 903 जूनियर ऑफिस असिस्टेंट आईटी, पोस्टकोड 915 असिस्टेंट सुपरिटडेंट जेल और पोस्ट कोड 977 मार्केट सुपरवाइजर शामिल हैं.