रांची. राज्य की पंचायतों से राशि इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. भारत सरकार ने जुलाई महीने में ही पंचायतों के लिए राशि दी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने भी राशि खर्च करने की अनुमति दे दी थी.
एक समाचार पत्र के अनुसार राज्य कि पंचायतों में करीब 632 करोड़ रुपये उपलब्ध है. पर इस मद की राशि चार महीने से पंचायतों में पड़ी हैं. उसका खर्च नहीं हो पा रहा है. इसलिए गांव में विकास की योजनाएं नहीं ली जा रही है.
दिसंबर तक सारी राशि खर्च करा ली जाये : ग्रामीण विकास सचिव
मामले की जानकारी मिलने पर ग्रामीण विकास सचिव आराधना पटनायक ने इसे गंभीरता से लिया है. साथ ही उन्होंने सारे उप विकास आयुक्तों को यह निर्देश दिया है कि हर हाल में दिसंबर तक सारी राशि खर्च करा ली जाये. सचिव ने कहा है कि किसी भी हाल में राशि खर्च करने से पंचायतों को ना रोका जाये.
इस मामले को लेकर ग्रामीण विभाग की सचिव अराधना पटनायक का कहना है कि उन्हें यह सूचना मिली है कि पंचायतों को राशि खर्च करने से रोका जा रहा है. ऐसा प्रखंड विकास पदाधिकारियों के स्तर पर हो रहा है. सचिव ने कहा कि प्रखंड विकास पदाधिकारी का काम मॉनिटरिंग करना और अनियमितता को रोकना है.
उन्हें राशि खर्च करने से रोकने का अधिकार नहीं है. ऐसे में यह चिह्नित किया जाये कि किन प्रखंड विकास पदाधिकारियों के स्तर पर पंचायतों को राशि खर्च करने से रोका गया है.
झारखंड में एक लाख से ज्यादा आवास लंबित
राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत राज्य में बन रहे आवासों में से एक लाख से ज्यादा आवास अभी लंबित हैं. केन्द्रीय ग्रामीण विकास के अनुसार राज्य के लिए कुल 850296 बनाने कि विभाग की ओर से मंजूरी दि जा चुकि है, जिनमें से 716155 का काम पूरा हो चुका है, यानि राज्य में अब 134,141 आवास ऐसे हैं जिनके उपर काम चल रहा है.
मुखियाओं का आरोप बीडीओ के हस्तक्षेप के चलते नही हो रही राशि की निकासीं
जबकि कुछ मुखियाओं का कहना है कि चूंकि दिसंबर माह में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो रहा है, ऐसे में पंचायतों में कामकाज का अधिकार सीधे रूप से प्रखंड विकास पदाधिकारियों का हो जायेगा. इसको देखते हुए पंचायतों को काम करने या राशि निकासी करने से रोका जा रहा है.