मंडी(जोगिंद्रनगर). आयुष मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के द्वारा देश में स्वीकृत आठ क्षेत्रीय केंद्र हैं. जिसमें से उत्तर भारत का पहला क्षेत्रीय केंद्र जोगिंद्रनगर के आयुर्वेदिक अनुसंधान संस्थान ने काम करना शुरू कर दिया है.
लुप्त हो रहे औषधियों को बचाने में मिलेगी मदद
राज्य आयुर्वेद विभाग का क्षेत्रीय-सहसुविधा केन्द्र (आरसीएफसी) स्थापित होने से लुप्त हो रहे औषधियों को बचाने में मदद मिलेगी. भारत के उत्तरी राज्यों में औषधीय पौधों के संरक्षण की तकनीक का विस्तार करने के उदेश्य से यह केंद्र 6 पड़ोसी उत्तर भारतीय राज्यों में औषधीय पौधों की खेती और संरक्षण को बढ़ावा देगा. साथ ही पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, यूपी, हिमाचल सहित चंडीगढ़ का औषधीय कार्यभार देखेगा.
राज्य सरकार पर नहीं पड़ेगा वित्तीय बोझ
आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र, सेरथाना, जिला कांगड़ा के आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी, डॉ. अरुण चंदन को क्षेत्रीय निदेशक आरसीएफसी के रूप में तैनात किया गया है. उन्होंने बताया कि आयुष मंत्रालय के द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय औषध पादक बोर्ड के इस क्षेत्रीय केंद्र में पांच साल की अवधि के लिए 7.82 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. संस्थान का सारा वित्त प्रबंध भारत सरकार के जिम्मे है, राज्य के राजकोष पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा. उन्होंने बताया कि इस परियोजना में कोई सिविल कार्य फिलहाल नहीं किया जाएगा.