मंडी(करसोग). हिमाचल प्रदेश में चुनाव को लेकर हर जगह चुनावी दंगल देखने को मिल रहा है लेकिन मंडी जिला के करसोग विधानसभा की कहानी सबसे अलग है. करसोग में 9 उम्मीदवार मैदान मे हैं जो यहां पर हुये अब तक के चुनावों में सबसे अधिक है. इसमें भाजपा, कांग्रेस, बसपा व एक निर्दलीय प्रत्याशी पहले भी जनता के बीच जाकर चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं इस बार 5 प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में पहली बार अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
करसोग विधानसभा का इतिहास
बता दें कि कांग्रेस से मनसाराम उम्मीदवार हैं जो वर्तमान विधायक भी हैं. वहीं भाजपा से हीरालाल को मौका मिला है. हीरालाल 2007 में निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं, वहीं 2012 में भाजपा से उम्मीदवार बनकर उन्हें हार का मुख देखना पड़ा था. चुनावी गणित यह है कि 27 साल से भाजपा को यहां केवल हार मिली है. इसलिये भाजपा ने इस हार को जीत में बदलने की ठान ली है.
करसोग का चुनावी गणित
भाजपा से टिकट की उम्मीद कर रहे रिटायर प्रशासनिक अधिकारी भगतराम ब्यास टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं भगवंत सिंह आम आदमी पार्टी के हि. प्र. में चुनाव न लड़ने के बाद स्वतंत्र उम्मीदवार बन चुनाव मैदान मे हैं. वहीं राष्ट्रीय आजाद मंच से भनेरा पंचायत के प्रधान रह चुके मेहरचंद खुखलिया भी इस चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं.
युवा और महिला उम्मीदवार
निर्दलीय पवन कुमार भी युवाओं को रिझानें में लगे हुये हैं. वहीं आज तक के इतिहास में पहली बार करसोग से महिला प्रत्याशी अनीता देवी भी बतौर निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. 9 प्रत्याशियों के चुनावी समर में कूदने से करसोग विधानसभा का चुनाव रोचक होता जा रहा है. अब देखना यह होगा की राष्ट्रीय दल या स्वतंत्र उम्मीदवार, आखिर किसको मिलती है जीत.