नई दिल्ली. केरल ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार (1 नवंबर) को राज्य स्थापना दिवस के मौके पर केरल को ‘अत्यधिक गरीबी मुक्त राज्य’ घोषित किया। इस ऐलान के साथ केरल न केवल भारत का पहला बल्कि चीन के बाद दुनिया का दूसरा ऐसा क्षेत्र बन गया है जिसने यह उपलब्धि हासिल की है। तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में हुए भव्य समारोह में सभी राज्य मंत्री, स्थानीय निकाय प्रतिनिधि और फिल्म जगत के सितारे मौजूद रहे। इस अवसर पर केरल की समृद्ध कला और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
क्या है ‘अत्यधिक गरीबी मुक्त’ का मतलब?
‘अत्यधिक गरीबी’ उस स्थिति को कहा जाता है जब व्यक्ति या परिवार अपनी मूलभूत जरूरतें — जैसे भोजन, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और वस्त्र — पूरी नहीं कर पाते। विश्व बैंक के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन $2.15 (लगभग ₹180) से कम पर जीवन यापन करता है, वह extreme poverty में आता है। भारत में नीति आयोग द्वारा तैयार Multidimensional Poverty Index (MPI) गरीबी को केवल आय से नहीं, बल्कि पोषण, आवास, स्वच्छता, शिक्षा और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच जैसे कई संकेतकों के आधार पर मापता है।
नीति आयोग की 2023 की MPI रिपोर्ट के अनुसार, केरल में देश में सबसे कम बहुआयामी गरीब जनसंख्या है। राज्य की केवल 0.55% आबादी multidimensionally poor श्रेणी में आती है, जबकि गोवा (0.84%) और पुडुचेरी (0.85%) इसके बाद हैं।
कैसे हुआ यह संभव
केरल ने 2021 में Extreme Poverty Eradication Project की शुरुआत की थी, जो मुख्यमंत्री विजयन के दूसरे कार्यकाल की प्रमुख योजनाओं में से एक थी। इस मिशन का लक्ष्य था—हर उस परिवार की पहचान करना जो अत्यधिक गरीबी में जी रहा है, और फिर प्रत्येक परिवार के लिए अलग-अलग समाधान तैयार करना।
कुडुंबश्री (Kudumbashree) कार्यकर्ताओं, आशा हेल्थ वर्कर्स और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों ने घर-घर सर्वे कर 64,006 परिवारों (कुल 1,30,009 व्यक्तियों) को चिन्हित किया जो अत्यधिक गरीबी में थे। इसके बाद स्थानीय स्वशासी संस्थाओं ने प्रत्येक परिवार की जरूरतों के अनुसार माइक्रो-लेवल योजनाएं बनाईं—जैसे आवास सहायता, स्वास्थ्य उपचार, आजीविका के अवसर और कल्याण योजनाएं।
1998 में शुरू हुआ Kudumbashree Movement आज दुनिया के सबसे बड़े महिला सामूहिक संगठनों में से एक है, जिसमें 45 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। इसने गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण दोनों क्षेत्रों में केरल को नई दिशा दी।
विकेंद्रीकृत शासन बना सफलता की कुंजी
केरल की सफलता के पीछे इसका decentralised governance model प्रमुख भूमिका निभाता है। 1990 के दशक से राज्य ने पंचायतों और नगर निकायों को विकास योजनाओं की पहचान, संसाधन आवंटन और निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है। इस bottom-up approach ने न केवल नौकरशाही की देरी को घटाया बल्कि शासन को पारदर्शी और जवाबदेह भी बनाया।
विशेषज्ञों का मानना है कि केरल की participatory planning system — जहां स्थानीय समुदाय निर्णय प्रक्रिया में सक्रिय भाग लेते हैं — ने गरीबी उन्मूलन को लक्षित और टिकाऊ बनाया।
समावेशी शासन का केरल मॉडल
केरल का मॉडल बताता है कि अगर स्थानीय निकायों को सशक्त किया जाए और समुदायों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए, तो सामाजिक परिवर्तन संभव है। सरकार, महिला संगठनों और स्थानीय प्रतिनिधियों के सहयोग से तैयार यह पहल वास्तव में people-centric and sustainable साबित हुई है।
