नई दिल्ली. केरल सरकार ने चुनाव आयोग द्वारा राज्य में चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। राज्य सरकार ने अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में कहा है कि स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (LSGI) के चुनाव के साथ-साथ SIR कराना प्रशासन के लिए भारी चुनौती बन जाएगा और चुनाव की सुचारू प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
सरकार ने स्पष्ट किया कि वह SIR की वैधता को भविष्य में चुनौती देने का अधिकार रखती है, लेकिन फिलहाल याचिका सिर्फ केरल में SIR को स्थगित करने पर केंद्रित है।
दो चरणों में चुनाव, प्रशासनिक बोझ बढ़ा
केरल में 1,200 स्थानीय निकाय (LSGI) हैं— इनमें 941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायतें, 14 जिला पंचायतें, 87 नगरपालिकाएं और 6 निगम शामिल हैं। कुल मिलाकर 23,612 वार्डों में चुनाव 9 और 11 दिसंबर को दो चरणों में होने हैं।
वहीं, SIR की प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हो चुकी है और ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 4 दिसंबर को जारी होनी है, यानी पूरी प्रक्रिया के लिए सिर्फ एक महीने का समय है। सरकार का कहना है कि यह समय सीमा स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों से टकरा रही है।
1.76 लाख चुनाव कर्मी, 68 हजार सुरक्षा स्टाफ — SIR के लिए चाहिए 25,668 अतिरिक्त कर्मचारी
याचिका के अनुसार LSGI चुनाव कराने के लिए 1,76,000 कर्मचारियों और 68,000 सुरक्षा कर्मियों की जरूरत है। वहीं, SIR के लिए अलग से 25,668 कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ती है। राज्य सरकार का कहना है कि इतना भारी स्टाफ जुटाना प्रशासनिक मशीनरी पर “गंभीर दबाव” डाल देगा और रोज़मर्रा का शासन लगभग ठप हो सकता है।
संवैधानिक समय सीमा: 21 दिसंबर से पहले पदभार ग्रहण जरूरी
याचिका में अनुच्छेद 243-E और 243-U, साथ ही केरल पंचायत राज अधिनियम की धारा 38 और नगरपालिका अधिनियम की धारा 94 का हवाला दिया गया है, जिनके मुताबिक पिछले निकायों की पहली बैठक से पांच साल के भीतर चुनाव अनिवार्य हैं। नए सदस्यों को 21 दिसंबर से पहले शपथ दिलाना जरूरी है।
राज्य का तर्क है कि इस दौरान SIR कराने की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है और चुनाव आयोग ने भी तत्काल SIR कराने के लिए कोई “विशेष कारण” नहीं बताया है।
हाई कोर्ट ने स्टे देने से इनकार किया, 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
इससे पहले केरल हाई कोर्ट ने SIR पर रोक लगाने से मना कर दिया था और राज्य को सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी थी। सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही SIR से जुड़े कुछ मामले लंबित हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मुद्दे की सुनवाई कर रही है, जिसकी अगली तारीख 26 नवंबर तय है।
