नई दिल्ली : Waqf Amendment Bill वक्फ संशोधन बिल लोकसभा से पारित हो गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और विपक्ष के सांसदों ने अपने-अपने पक्ष रखे। करीब 12 घंटे की चर्चा के बाद बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े तो वहीं इसके खिलाफ 232 वोट मिले। आज इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति के पास अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा। आइये जानते है वक्फ संशोधन बिल के कानून बन जाने के बाद क्या क्या बदलेगा।
जानिए क्या-क्या हुआ बदलाव
वक्फ बोर्ड में शामिल होंगे गैर-मुस्लिम सदस्य और महिलाएं
नए विधेयक में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों और महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान है। अब बोर्ड में 2 महिला और 2 गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे। वहीं, केंद्रीय वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, 3 सांसद, 2 पूर्व न्यायाधीश, 4 मशहूर लोग, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होंगे। इनमें किसी का मुसलमान होना जरूरी नहीं है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना वक्फ प्रशासन में दखल देना है।
संपत्ति पर नियंत्रण को लेकर होंगे ये बदलाव
सरकार वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए कलेक्टर को नियुक्त करेगी। पहले ये काम सर्वे कमिश्नर किया करते थे। जिला कलेक्टर मौजूदा राजस्व प्रक्रियाओं का उपयोग कर सर्वेक्षण करेंगे। बोर्ड को संपत्ति का पंजीयन कलेक्टर कार्यालय में करवाना होगा। कलेक्टर को इसकी जानकारी राज्य सरकार को देनी होगी। सरकार की अनुमति मिलने के बाद ही संपत्ति पर वक्फ बोर्ड का नियंत्रण हो सकेगा। बिना कागजात के किसी संपत्ति पर वक्फ दावा नहीं कर सकेगा।
वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को दी जा सकेगी चुनौती
अभी तक वक्फ ट्रिब्यूनल को फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। नए विधेयक में फैसले को चुनौती देने की व्यवस्था की गई है।वक्फ किसी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित नहीं कर सकेगा। इसके लिए कानून की धारा-40 को खत्म किया जाएगा।
वक्फ डीड के कोई भी संपत्ति दान नहीं की जा सकेगी। कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहे मुसलमान ही संपत्ति दान कर सकेंगे।
मुस्लिम संगठन क्यों कर रहे हैं विरोध?
मुस्लिमों का कहना है कि कई संपत्तियों सदियों पुरानी हैं, जिनके दस्तावेज नहीं है। ऐसी संपत्तियां विवादों में फंस जाएंगी।
विधेयक में कलेक्टर की भूमिका से मुस्लिमों को डर है कि सरकार का दखल बढ़ेगा। वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकार खत्म होंगे, क्योंकि इसके फैसले को कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। दस्तावेज, सत्यापन और वक्फ डीड जैसे प्रावधानों से संपत्ति कानूनी पचड़े में फंस जाएंगी। इसके अलावा मुस्लिम इसे धर्म में दखल के तौर पर भी देख रहे हैं।
वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्तियां हैं?
देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फिलहाल 32 वक्फ बोर्ड हैं। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 अचल संपत्तियां हैं। इनका कुल क्षेत्रफल 9 लाख एकड़ से भी ज्यादा है और अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा (करीब 2 लाख) संपत्तियां हैं। देश में भारतीय रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा जमीन है।
वक्फ बोर्ड के खिलाफ कितनी शिकायतें दर्ज हैं?
वक्फ बोर्ड के खिलाफ वर्तमान में 58,000 से अधिक शिकायतें हैं, जिनमें से 18,000 से अधिक न्यायाधिकरणों में और 150 से अधिक हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। अलग-अलग राज्यों के वक्फ बोर्ड में 12,000 से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। वहीं, 4.5 लाख संपत्तियां ऐसी हैं, जिनके मालिकाना हक के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। संपत्तियों पर वक्फ के दावे को लेकर हाल ही में कई विवाद भी हुए हैं।
वक्फ क्या है?
वक्फ से तात्पर्य उन संपत्तियों से है जो इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दी जाती हैं। एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ हो जाती है, तो उसे बेचा या अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। ऐसी संपत्ति का स्वामित्व अल्लाह का माना जाता है। जो व्यक्ति संपत्ति दान करता है उसे ‘वाकिफ’ कहा जाता है। चूंकि अल्लाह कोई भौतिक प्राणी नहीं है, इसलिए वक्फ संपत्ति की देखभाल के लिए ‘मुतवल्ली’ नामक एक प्रबंधक नियुक्त किया जाता है।
भारत में वक्फ की उत्पत्ति कहां से हुई?
भारत में वक्फ की अवधारणा दिल्ली सल्तनत काल में शुरू हुई थी। सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर ने मुल्तान में जामा मस्जिद के लिए दो गांव दान में दिए थे। मुगल काल के दौरान वक्फ संपत्तियों की संख्या में वृद्धि हुई। ब्रिटिश काल में एक ऐसा मामला आया जिसमें ब्रिटिश जजों ने वक्फ को एक बुरी प्रथा बताया और इसे हटाने की कोशिश की। हालांकि, 1913 में भारत में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम पारित किया गया।
. भारत में वक्फ पर कानून कैसे बदला है?
1954 के बाद से वक्फ अधिनियम पर कानून बदलता रहा है और 2022 तक इसे निरस्त कर दिया गया। वक्फ अधिनियम, 1954: इस कानून ने वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक प्रणाली बनाई। इस अधिनियम के तहत 1964 में एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की गई। वक्फ अधिनियम, 1995: इस कानून ने वक्फ बोर्डों को अधिक शक्ति दी और उनके निर्णयों को अंतिम बना दिया। इसने विवादों को निपटाने के लिए वक्फ न्यायाधिकरण भी बनाए। 2013 में संशोधन: वक्फ प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए 2013 में कुछ बदलाव किए गए। वक्फ निरसन विधेयक, 2022: धार्मिक संपत्तियों के उपचार में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए यह विधेयक 2023 में पेश किया गया था।