सोलन. सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों को खोलने की राजनीति भारी पड़ती जा रही है. खासकर प्राथमिक स्कूल जिनमें छात्रों की संख्या बढ़ने की बजाए घटती जा रही है.
छात्रों की संख्या 15
सोलन जिले में करीब 159 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं. जहां छात्रों की संख्या 15 से भी कम है. जहां एक ओर स्कूलों में अध्यापकों की कमी है. कम छात्रों की संख्या वाले स्कूलों की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है.
मोटी कमाई करने में लगे
अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए निजी स्कूलों में दाखिला करवा रहे हैं. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि निजी स्कूल इसी बात का फायदा उठाकर लोगों की जेबों पर डाका डाल रहे हैं. तरह तरह के हथकंडे अपनाकर बिल्डिंग फंड या अन्य फंड का हवाला देकर मोटी कमाई करने में लगे हैं. शिक्षा विभाग खामोश बैठा है मानो उनका धंधा चमकाने में जुटा है.
अभाव के चलते छात्र भी सरकारी स्कूलों में रुचि नहीं दिखाते हैं
सरकारी स्कूलों में सुविधाओं के अभाव के चलते छात्र भी वहां पढ़ने में रुचि नहीं दिखाते हैं. जिले में अधिकतर प्राथमिक स्कूल या तो कामगारों के बच्चों के कारण चल रहे हैं या फिर जहां नजदीक कोई निजी स्कूल नहीं है. उपनिदेशक प्राथमिक शिक्षा चन्द्रेश्वर शर्मा ने माना कि जिले में कम छात्रों की संख्या वाले प्राथमिक स्कूलों की संख्या काफी है.
उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे स्कूलों के बारे सूची बनाकर भेज दी गई है. इन पर आगामी कार्रवाई बारे बोलते हुए, कहा कि अब सरकार ही निर्णय लेगी की इन स्कूलों को बंद किया जाएगा या अधिक संख्या वाले स्कूलों में मिला दिया.