नीतीश कुमार ने कल बिहार विधानसभा में विश्वास मत तो हासिल कर लिया परन्तु उनके पार्टी के कई नेता उनसे नाराज चल रहे हैं. जदयू से सबसे वरिष्ठ नेता शारद यादव की चुप्पी और मीडिया से दूरी बनाये रखना सबको खटक रही है. नीतीश कुमार के द्वारा महागठबंधन से अलग होने के बाद शरद यादव ने नीतीश के द्वारा एनडीए साथ सरकार बनाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहीं लालू यादव ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि नीतीश द्वारा विश्वासमत हासिल करने के बाद शरद यादव ने उन्हें फ़ोन किया था और कहा कि वह मेरे साथ हैं.
शरद यादव की नाराजगी का प्रमुख कारण यह है कि वह विपक्षी दलों की मीटिंग में लगातार यह कहते आ रहे हैं कि उनकी लड़ाई भाजपा और नरेन्द्र मोदी से है. ऐसे में नीतीश का उनके साथ चला जाना ये उन्हें खटक रहा है. शरद यादव पिछले कुछ महीनों से संसद में भी चुपचाप दिखे. नोटबंदी के समय भी शरद यादव उसके पक्ष में नहीं थे परन्तु नीतीश के द्वारा समर्थन दिए जाने पर शरद यादव को संसद और बाहर दोनों जगह चुप रहना पड़ा.
मीडिया से बचने के लिए शरद यादव संसद में भी दूसरे दरवाजे से अंदर घुस रहे हैं और उनके घर में बाहर खड़ी मीडिया से भी वह कोई बात नहीं कर रहे हैं. शरद यादव के इस बर्ताव से और लालू के दावे से बिहार की राजनीति में कुछ और भी उलटफेर होने की संभावना लगाई जा रही है.