नई दिल्ली. माधव सिंह सोलंकी एक ऐसे नेता जो कांग्रेस से चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने. जिन्होंने ‘खाम’ की रणनीति बना कर राजनीति की नई बिसात बिछाई और गुजरात में कांग्रेस को सत्ता में लाते रहे. इस व्यक्ति विशेष के अंक में जानिये गुजरात की राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले और भारत सरकार में विदेश मंत्री रह चुके सोलंकी की पूरी कहानी.
विवादों को निमंत्रण देने वाले नेता
कई विवादों को जन्म देने वाले नेता माधव सिंह सोलंकी की राजनीति के कई रंग हमे देखने को मिलते हैं. 1981 में जब उन्होंने गुजरात में विशेष आरक्षण लागू किया था जिससे बवाल मच गया था. सोलंकी ने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू किया जिसके विरोध में दंगे भड़क गए जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. इसी वजह से उन्होंने अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान 1985 में पद से इस्तीफा दे दिया.
बोफोर्स तोप बनी मुसीबत
नरसिंह राव सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए सोलंकी ने दावोस में स्विस विदेश मंत्री से कह दिया कि बोफोर्स केस राजनीति से प्रेरित है. इस पर बहुत बवाल हुआ और सोलंकी को विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. सोलंकी अपनी खास राजनीति के लिये भी जाने जाते हैं.
‘खाम’ के बूते जीतते थे सोलंकी
कांग्रेस पार्टी ने 1985 में सोलंकी के नेतृत्व में खाम (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) कार्ड खेला जिसके जरिए विधानसभा चुनाव में 182 में से 149 पर जीत दर्ज की. वहीं 2017 के चुनाव में कांग्रेस अपने पुराने ‘खाम’ फैक्टर चलाने के मूड में दिख रही है. इस बार मुस्लिमों को गौण रखते हुए क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी के साथ ओबीसी और पटेलों की राजनीति करने के मूड में दिख रही है. इसके जवाब में भाजपा ने भी सोलंकी के शासन काल में पटेलों को किस तरह सत्ता से बाहर रखा गया और किस कदर पटेलों के ऊपर जुल्म के आरोप लगे, इस मुद्दे को भूनाने की कोशिश करेगी.
पिता की विरासत संभाले बेटा
90 साल के हो चुके सोलंकी ने सबसे पहले 24 दिसंबर 1976 को गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभाला. 1980 में जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद वह फिर से राज्य के सीएम बने. 1989 में भी वह सत्ता में आए लेकिन बस कुछ ही महीनों के लिये. उनको क्षत्रीय, हरिजनों, आदिवासी और मुसलमानों का अच्छा समर्थन हासिल था. उनके बेटे भारत सिंह सोलंकी भी राजनीति में अपनी पैठ जमा रहे हैं. मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं. 2015 से गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष पद को संभाल रहे हैं. अब देखना होगा कि क्या सोलंकी के पुत्र को पिता जैसा जनसमर्थन मिल पाता है.