मंडी. हिमाचल प्रदेश के केंद्र में बसा मंडी जिला, प्रदेश में सरकार बनाने में हमेशा अपना अहम रोल अदा करता है और इस बार भी मंडी जिला की भूमिका इसमें काफी अहम मानी जा रही है। 10 विधानसभा क्षेत्रों वाले मंडी जिले में अभी 5 सीटों पर कांग्रेस तो 5 पर भाजपा का कब्जा है।
वर्ष 2007 में जब भाजपा की सरकार बनी थी तो उस समय भाजपा को 6 और कांग्रेस को एक सीट मिली थी जबकि एक पर निर्दलीय ने बाजी मारी थी। हालांकि यह निर्दलीय भाजपा के साथ हो लिए थे। उस वक्त भी मंडी जिला को 3 कैबिनेट मंत्री मिले थे और मौजूदा सरकार में भी 3 ही कैबिनेट मंत्री मंडी जिला से थे।
कौल सिंह ठाकुर, अनिल शर्मा और प्रकाश चौधरी को कैबिनेट मंत्री जबकि सोहन लाल ठाकुर और मनसा राम को सीपीएस का दायित्व सौंपकर रखा। हालांकि अब अनिल शर्मा भाजपा में शामिल हो चुके हैं और इनके भाजपा में शामिल होने से जिले की राजनीति के सारे समीकरण ही बदल गए हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम और सीएम वीरभद्र सिंह के बीच 36 का आंकड़ा है। एक तरफ जहां वीरभद्र सिंह अधिक सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश में हैं वहीं पंडित सुखराम भाजपा को अधिक सीटें दिलाने की। पंडित सुखराम ने वर्ष 1998 में जब हिमाचल विकास कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बनाई थी तो जिले की चार सीटों पर जीत हासिल करके प्रदेश में भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी.
इसलिए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मंडी जिला में उनका अपना एक वोट बैंक है। लेकिन इन सब बातों के विपरीत मंडी जिला हर बार सीएम पद को लेकर अपनी दावेदारी पेश करता है और इसमें पिछड़ भी जाता है।
प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला होने के बाद भी मंडी को आज दिन तक सीएम की कुर्सी नसीब नहीं हो पाई। पंडित सुखराम ने कांग्रेस में रहते एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया लेकिन उन्हें इस कुर्सी पर बैठना नसीब नहीं हो सका। इसके बाद कांग्रेस के ही कौल सिंह ठाकुर ने भी खूब जोर आजमाईश की, लेकिन उन्हें भी सफलता नहीं मिल सकी।
इन चुनावों में दबी जुबान में सराज से भाजपा प्रत्याशी जय राम ठाकुर का नाम सीएम पद की चर्चा में है। लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं और पांचवी बार बनने के लिए मेहनत कर रहे हैं। मंडी जिला की राजनीति को समझना काफी मुश्किल है क्योंकि यहां कब क्या हो जाए पता नहीं चलता। यही कारण है कि मंडी जिला को राजनैतिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि यहां की संस्कृति काफी प्रसिद्ध है इसलिए इसे सांस्कृतिक राजधानी और मंदिरों की अधिक संख्या होने के कारण छोटी काशी भी कहा जाता है।
मंडी जिला की किस सीट पर कौन-कौन प्रबल दावेदार हैं और कौन किसका खेल बिगाड़ सकते हैं उस पर भी एक नजर डाल देते हैं
1.) विधानसभा क्षेत्र – करसोग (आरक्षित)
कांग्रेस – मनसा राम
भाजपा – हीरा लाल
निर्दलीय – मस्त राम
कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मनसा राम को अपना प्रत्याशी बनाया है जबकि भाजपा ने पूर्व विधायक हीरा लाल को टिकट देकर मैदान में उतारा है। कभी कांग्रेस में रहे पूर्व विधायक मस्त राम निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं। मस्त राम दो बार विधायक रह चुके हैं इसलिए इनका भी काफी जनाधार है। इसलिये यहां पर तिकोना मुकाबला हो गया है।
2.) विधानसभा क्षेत्र – सुंदरनगर
कांग्रेस – सोहन लाल ठाकुर
भाजपा – राकेश जम्वाल
सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र में सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में है। कांग्रेस ने मौजूदा विधायक सोहन लाल ठाकुर को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने अपने जिलाध्यक्ष राकेश जम्वाल को फिर से चुनावी रण में उतारा है। राकेश जम्वाल पिछली बार चुनाव हार गए थे। पार्टी ने फिर से एक मौका दिया है और विरोध कर रहे पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर को मनाकर डैमेज कंट्रोल कर दिया है।
3.) विधानसभा क्षेत्र – नाचन (आरक्षित)
कांग्रेस – लाल सिंह कौशल
भाजपा – विनोद कुमार
नाचन विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने अपना चेहरा बदला है। यहां से दो बार चुनाव हो चुके पूर्व विधायक टेक चंद डोगरा का टिकट काटकर पार्टी ने लाल सिंह कौशल को चुनावी रण में उतारा है जबकि भाजपा ने मौजूदा युवा विधायक विनोद कुमार को ही टिकट दिया है। यहां कांग्रेस में बगावत थी लेकिन पार्टी यहां बागियों को मनाने में कामयाब रही है और अब सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा में ही है।
4.) विधानसभा क्षेत्र – सराज
कांग्रेस – चेत राम ठाकुर
भाजपा – जय राम ठाकुर
सराज विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा विधायक जय राम ठाकुर का बीते 20 वर्षों से एकछत्र राज चल रहा है। यहां कांग्रेस में भारी गुटबाजी है और इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलता है। कांग्रेस ने फिर एक बार तीन चुनाव हार चुके चेत राम ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है जबकि भाजपा के कद्दावर नेता जय राम ठाकुर फिर से मैदान में डटे हैं। यहां पार्टी की बगावत थम नहीं रही और कई कांग्रेसी अब भाजपा के साथ हो चुके हैं। यहां भी सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा में ही है।
5.) विधानसभा क्षेत्र – द्रंग
कांग्रेस – कौल सिंह ठाकुर
भाजपा – जवाहर ठाकुर
निर्दलीय – पूर्ण चंद ठाकुर
जो हालत सराज में कांग्रेस की है वहीं हालत द्रंग में भाजपा की है। यहां कौल सिंह ठाकुर का एकछत्र राज सदियों से चला आ रहा है। कौल सिंह ठाकुर 1977 से प्रदेश की राजनीति में हैं और सिर्फ एक चुनाव हारकर 8 बार विधायक चुने गए हैं। पार्टी ने फिर से उन्हें बतौर प्रत्याशी मैदान में भेजा है जबकि भाजपा ने तीन चुनाव हार चुके जवाहर ठाकुर पर फिर से दांव खेला है। पिछली बार जवाहर ठाकुर काफी कम मतों से हारे थे और इस बार भी मुकाबला कड़ा होने की संभावना है। यहां तीसरी बड़ा नाम पूर्ण चंद ठाकुर का है। पूर्ण चंद ठाकुर कभी कौल सिंह ठाकुर के खास माने जाते थे, लेकिन अब विरोधी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। पूर्ण चंद ठाकुर कौल सिंह ठाकुर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
6.) विधानसभा क्षेत्र – जोगिंद्रनगर
कांग्रेस – जीवन ठाकुर
भाजपा – गुलाब सिंह ठाकुर
माकपा – कुशाल भारद्वाज
निर्दलीय – प्रकाश राणा
जोगिंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला चार योद्धाओं के बीच में है। यहां पर भी भाजपा के गुलाब सिंह ठाकुर का काफी दबदबा है और बीते दो चुनावों से लगातार वही जीत रहे हैं। इससे पहले भी उन्होंने कई चुनाव जीते हैं। इस बार फिर से चुनावी रण में हैं और कांग्रेस ने यहां से अपना चेहरा बदलकर जीवन ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है। यहां पर माकपा का भी काफी जनाधार है इसलिए कुशाल भारद्वाज चुनावी रण में हैं। वहीं सउदी अरब में कारोबार करने वाले प्रकाश राणा बतौर आजाद प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चारों प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला होने की सम्भावना है।
7.) विधानसभा क्षेत्र – धर्मपुर
कांग्रेस – चंद्रशेखर
भाजपा – महेंद्र सिंह ठाकुर
माकपा – भूपेंद्र सिंह
धर्मपुर सीट महेंद्र सिंह ठाकुर का गढ़ मानी जाती है। चाहे किसी पार्टी से चुनाव लड़ने की बात हो या फिर निर्दलीय, महेंद्र सिंह ठाकुर लगातार 6 बार जीत दर्ज कर चुके हैं। बीते दस वर्षों से भाजपा में हैं इसलिए भाजपा के टिकट पर चुनावी रण में हैं। वहीं कांग्रेस ने दो चुनाव हार चुके चंद्रशेखर पर फिर से दांव खेला है। माकपा के प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह का भी यहां काफी जनाधार है। इसलिए यहां पर तीकोणा मुकाबला होने की पूरी संभावना है।
8.) विधानसभा क्षेत्र – बल्ह (आरक्षित)
कांग्रेस – प्रकाश चौधरी
भाजपा – इंद्र सिंह गांधी
प्रकाश चौधरी बीते दस वर्षों से बल्ह पर कब्जा जमाए हुए है। इसलिए कांग्रेस ने इन्हें फिर से टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने पिछला चुनाव हारने के बाद फिर से इंद्र सिंह गांधी को मैदान में उतारा है। यहां तीसरा कोई दमदार प्रत्याशी नहीं है और पिछली बार भी दोनों में कांटे की टक्कर हुई थी, इसलिए इस बार भी इन्हीं दोनों में रोचक मुकाबला होने जा रहा है।
9.) विधानसभा क्षेत्र – सदर
कांग्रेस – चंपा ठाकुर
भाजपा – अनिल शर्मा
कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे अनिल शर्मा के भाजपा में जाने के बाद यह सीट पूरे प्रदेश में सुर्खियों में है। कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आए अनिल शर्मा इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं। उनके पिता पंडित सुखराम की यह पुस्तैनी सीट है और यहां से इन्हीं का परिवार लगातार जीतता रहा है। वहीं कांग्रेस ने कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा है। यहां पर भी दोनों के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है।
10.) विधानसभा क्षेत्र – सरकाघाट
कांग्रेस – पवन ठाकुर
भाजपा – कर्नल इंद्र सिंह
माकपा – मुनीश शर्मा
सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री रंगीला राम राव दो बार चुनाव हारे और इस बार पार्टी ने टिकट बदलकर युवा चेहरे को दे दिया। पार्टी ने जिलाध्यक्ष पवन ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने लगातार दो बार चुनाव जीत चुके कर्नल इंद्र सिंह को फिर से चुनावी रण में उतारा है। यहां पर माकपा प्रत्याशी के रूप में मुनीश शर्मा भी मैदान में हैं लेकिन मुकाबला तिकोना होने की संभावना कम है।