नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को राहत मिलती नहीं दिख रही है. शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें सात दिन की ईडी की कस्टडी में भेजने का फैसला सुनाया है. साथ ही जमानत पर होने वाली सुनवाई 21 मार्च तक टाल दी गई है. ईडी ने हालांकि दस दिन का रिमांड मांगा था, लेकिन कोर्ट ने 17 मार्च तक यानी सात दिन के रिमांड का आदेश दिया. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि सिसोदिया अपने जवाब में ‘टालमटोल’ कर रहे थे और ‘जांच में सहयोग नहीं’ कर रहे थे.
26 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे सिसोदिया
शराब नीति में घोटाले में ईडी मनी लांड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है. मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया को 20 मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. सिसोदिया तिहाड़ जेल में बंद हैं.
उधर, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ईडी की कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने कहा है कि मनीष को पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया. सीबीआई को कोई सबूत नहीं मिला, रेड में कोई पैसा नहीं मिला. शुक्रवार को बेल पर सुनवाई है. शुक्रवार को मनीष छूट जाते. तो अब ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. इनका एक ही मकसद है कि मनीष को हर हालत में अंदर रखना, रोज नए फर्जी मामले बनाकर. जनता देख रही है. जनता जवाब देगी.
नियमों का नहीं किया गया पालन
सिसोदिया की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन, मोहित माथुर और सिद्धार्थ अग्रवाल ने कोर्ट में पक्ष रखा. वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा- उन्होंने अपने अपने रिमांड आवेदन में यह नहीं लिखा है कि गिरफ्तार करने वाले को अरेस्ट का आधार बताया गया है. अगर वे हमें गिरफ्तारी का आधार नहीं बताते हैं तो ये नियमों का अनुपालन नहीं है और ऐसे में रिमांड खारिज करने का आधार बन सकता है.
हमें गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया
अग्रवाल का कहना था कि हमें गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया. हमें बताया कि हमने आरोपी को गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित कर दिया है. धारा 164 का बयान 30 सितंबर, 2022 को दर्ज किया गया था और ईडी का मामला अगले दिन के अन्य बयान पर निर्भर है. हमें नहीं पता कि कौन सा बयान सही है.
ईडी ने जमानत पर सुनवाई से ठीक पहले अरेस्ट किया
वकील दयान कृष्णन ने कहा- ईडी ने कभी कोई रिमांड नहीं मांगी और जमानत अर्जी की सुनवाई से एक दिन पहले गिरफ्तार कर लिया गया. ईसीआर 22 अगस्त का था तो अब किस बात की जल्दी है? गुच्ची बाबू का बयान बिल्कुल दिनेश अरोड़ा का बयान जैसा ही है. जहां तक फोन की बात है तो आरोप है कि जब नीति एलजी के पास गई तो मैंने फोन बदल दिया, यह क्या साबित करना चाहते हैं?
बचाव में खड़े तीन वकीलों पर ईडी की आपत्ति
ईडी ने कहा कि एक आरोपी के लिए तीन-तीन वरिष्ठ वकीलों द्वारा एक ही तरह की दलील देने का क्या मतलब है. ईडी के वकील ने कहा- एक आरोपी के पक्ष में तीन सीनियर बचाव कर रहे हैं. मैं समझता हूं कि अभियुक्त एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है, लेकिन फिर भी. मैं आपत्ति कर रहा हूं. कि एक आरोपी व्यक्ति के लिए तीन वरिष्ठ वकील क्यों हैं.