नई दिल्ली. बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार शाम को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. आज सुबह ही उन्होने इस्तीफा देनी की बात कही थी।
दरअसल मायावती ने राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन से सदन में बोलने के लिए समय मांगा था. इसके बाद पीजे कुरियन ने मायावती को तीन मिनट का समय दिया. जब मायावती ने बोलना शुरू किया तो तीन मिनट बाद उपसभापति ने उन्हे चेताया कि उन्होनें तय समय-सीमा से ज्यादा बोल लिया है. इससे मायावती नाराज हो गयीं. मायावती ने आरोप लगाया कि उन्हे राज्यसभा में बोलने नहीं दिया जा रहा है. इस वाकये से नाराज़ मायावती ने कहा कि वह राज्यसभा से इस्तीफा दे देंगी.
उनके इस्तीफा देने की बात से सदन में हंगामा बढ़ गया. हंगामे के बीच मायावती ने समर्थकों और विपक्षी पार्टियों के साथ राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया. इसके बाद उपसभापति ने सभा को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया.
सभा की शुरूआत में मायावती ने देश भर में हो रही दलित हिंसा और सहारनपुर की घटना के लिए केन्द्र सरकार की आलोचना की थी. उन्होंंने केन्द्र की मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर जम कर निशाने साधे. उन्होने कहा कि भाजपा के सरकार में आने के बाद, राज्यों में जातिवाद और पूंजीवाद बढ़ गया है.
भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने मायावती पर उपसभापति को अपमानित करने का आरोप लगाया. इस पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा “जब मायावती ने बोलने की कोशिश की, तब उनसे कहा गया कि ‘हमें जनादेश मिला है।’ हमें नहीं पता था कि बीजेपी को अल्पसंख्यकों, दलितों के खिलाफ मॉब लिंचिंग के लिए जनादेश मिला है। हम ऐसी सरकार के साथ नहीं हैं।”
 
								 
         
         
         
        