नई दिल्ली. भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सामरिक मौजूदगी को मजबूत करते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। भारत की प्रमुख सरकारी रक्षा शिपबिल्डिंग कंपनी, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Mazagon Dock Shipbuilders Limited – MDL) ने श्रीलंका की सबसे बड़ी शिपयार्ड कंपनी, कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी (Colombo Dockyard PLC – CDPLC) में कंट्रोलिंग स्टेक हासिल करने का समझौता किया है।
रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी द्वारा किया गया पहला अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण
यह डील करीब 52.96 मिलियन डॉलर (लगभग 452 करोड़ रुपये) की है और भारत की किसी भी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी द्वारा किया गया पहला अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण (International Defense Acquisition) माना जा रहा है।
इस सौदे से न सिर्फ भारत को एक स्ट्रैटेजिक मैरीटाइम बेस मिलेगा, बल्कि यह कदम इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक गतिविधियों (Chinese Expansion in Indian Ocean) को संतुलित करने में मदद करेगा। MDL ने इस अधिग्रहण के लिए जापान की ओनोमिची डॉकयार्ड कंपनी लिमिटेड से शेयर खरीदे हैं, जो अब तक CDPLC की सबसे बड़ी हिस्सेदार रही है। यह अधिग्रहण regulatory approvals और अन्य आवश्यक शर्तों के बाद आगामी 4 से 6 महीनों में पूरा होने की संभावना है।
MDL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर कैप्टन संदीप सिंह ने इस डील को भारत के लिए “strategic gateway” बताया है। उनका कहना है कि Colombo Port पर स्थित CDPLC की स्ट्रैटेजिक लोकेशन, तकनीकी दक्षता और क्षेत्रीय मौजूदगी, MDL को South Asia में एक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करेगी।
Colombo Dockyard PLC की क्षमताएं और अनुभव
CDPLC को जहाज निर्माण, मरम्मत और भारी इंजीनियरिंग में 50 वर्षों से अधिक का अनुभव है। यह कंपनी अब तक जापान, फ्रांस, UAE, नॉर्वे, भारत और अफ्रीकी देशों के लिए Advanced Offshore Support Vessels, Cable Laying Ships, Patrol Boats और Tankers बना चुकी है। वर्तमान में कंपनी के पास लगभग 300 मिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट्स हैं। इनमें Multi-Utility Ships और Fleet Support Vessels जैसे ऑर्डर शामिल हैं।
हालांकि कंपनी फिलहाल आर्थिक संकट से गुजर रही है, 2024 में उसे 2.48 बिलियन श्रीलंकाई रुपये का नुकसान हुआ था और 38.28 बिलियन रुपये की देनदारियों का सामना कर रही है। MDL इस शिपयार्ड को Financial Restructuring और Technology Collaboration के जरिए पुनर्जीवित करने की योजना बना रहा है।
भारत की नौसेना रणनीति को मिलेगा बूस्ट
भारत में भी MDL का परफॉर्मेंस शानदार रहा है। जर्मनी की ThyssenKrupp Marine Systems के साथ साझेदारी में कंपनी भारतीय नौसेना के लिए 6 नई स्टेल्थ डीज़ल-इलेक्ट्रिक सबमरीन (Stealth Submarines for Indian Navy) बनाने की मेगा डील की रेस में है, जिसकी लागत करीब 70,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। इसके अलावा, तीन नई Scorpene-Class Submarines के निर्माण का प्रस्ताव भी सरकार के पास विचाराधीन है।
कोलंबो पोर्ट का रणनीतिक महत्व
Colombo Port न केवल श्रीलंका का सबसे व्यस्त समुद्री केंद्र है बल्कि यह इंडियन ओशन के प्रमुख ट्रांसशिपमेंट हब्स में से एक भी है। MDL द्वारा CDPLC का अधिग्रहण भारत को इस क्षेत्र में एक प्रभावशाली maritime base देगा और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की Operational Reach को और मजबूत करेगा। वहीं चीन की Hambantota Port जैसी परियोजनाओं के चलते बनी चुनौती का यह प्रभावी जवाब भी साबित होगा।