नई दिल्ली. वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सालों पहले अपनी लेखनी से भारतीय पत्रकारिता को नई दिशा देने वाले और फिर MeToo Controversy के चलते राजनीतिक से दूरी बना ली थी लेकिन अब मोदी सरकार का वैश्विक रणनीतिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मंच पर भारत की आवाज़ बनने जा रहे हैं।
74 वर्षीय अकबर को भारत सरकार ने सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया है, जो Pakistan Sponsored Terrorism के खिलाफ भारत का पक्ष ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क जैसे देशों में मजबूती से रखेगा। यह उनकी कूटनीतिक वापसी का स्पष्ट संकेत है।
Journalism में एमजे अकबर का Golden Era
एमजे अकबर का नाम भारतीय पत्रकारिता में एक मजबूत स्तंभ के रूप में लिया जाता है। 1970-80 के दशक में उन्होंने The Sunday, The Telegraph, और बाद में The Asian Age जैसे प्रतिष्ठित मीडिया हाउस को नेतृत्व दिया। उनकी किताबें — जैसे “Nehru: The Making of India” और “Kashmir: Behind the Vale” इतिहास और राजनीति पर गहरी पकड़ का उदाहरण हैं। उनकी पत्रकारिता में तीव्र विश्लेषण, तथ्य आधारित रिपोर्टिंग और प्रभावशाली लेखन ने उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
राजनीतिक सफर: कांग्रेस से भाजपा तक
1989 में अकबर ने कांग्रेस से राजनीतिक शुरुआत की और बिहार के किशनगंज से लोकसभा चुनाव जीता। हालांकि 1991 में वह यह सीट हार गए। 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) जॉइन की और 2015 में राज्यसभा पहुंचे। 2016 में उन्हें विदेश राज्य मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने भारत की foreign diplomacy को सशक्त बनाने में भूमिका निभाई।
MeToo Allegations: करियर का बड़ा झटका
2018 में #MeToo Movement के दौरान कई महिला पत्रकारों ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। इन आरोपों को उन्होंने खारिज करते हुए defamation case किया, खासतौर पर पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ। लेकिन 2021 में कोर्ट ने रमानी को बरी कर दिया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की। इस विवाद के बाद उन्होंने Union Minister पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीतिक रूप से निष्क्रिय हो गए।
अब वैश्विक मंच पर नई भूमिका
अब जब भारत दुनिया भर में Anti-Terrorism Diplomacy को तेज़ कर रहा है, एमजे अकबर की वापसी एक रणनीतिक कदम मानी जा रही है। वह उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं जिसकी अगुवाई Ravi Shankar Prasad कर रहे हैं। यह टीम Pahalgam Terror Attack और Operation Sindoor जैसे मुद्दों को लेकर विश्व समुदाय को भारत की स्थिति समझाने के लिए काम करेगी। अकबर की विदेश नीति कौशलऔर communication skills इस मिशन में महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
MJ Akbar की वापसी केवल एक व्यक्ति की नहीं बल्कि एक विवादास्पद लेकिन सक्षम व्यक्तित्व की नई शुरुआत है। पत्रकारिता से लेकर संसद और अब Global Anti-Terror Diplomacy तक उनकी यात्रा जटिल लेकिन उल्लेखनीय रही है। आने वाले समय में यह साफ होगा कि उनकी भूमिका भारत की विदेश नीति में कितना असर डाल पाएगी।