नई दिल्ली. पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा लिखे एक पत्र को सार्वजनिक किया है. पूर्व राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी के पत्र को ह्दयस्पर्शी बताया है. यह पत्र प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के नाम 24 जुलाई को लिखी थी. पत्र में प्रधानमंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति को प्रणव दा कहकर संबोधित किया है.
प्रधानमंत्री ने पत्र की शुरुआत में प्रणव मुखर्जी की सादगी, उनके उच्च आदर्श मुल्यों और असाधारण नेतृत्व की प्रशंसा की है.
पत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन साल पहले दिल्ली आगमन को याद करते हुए लिखते हैं,
“तीन साल पहले मैं एक बाहरी की तरह दिल्ली पहुंचा था. वह वक्त मेरे लिए चुनौती से भरा हुआ था. तब आपने पिता की तरह मेरा मार्गदर्शन किया. आपकी बुद्धिमता, निर्देशन और लगाव ने हमारा आत्मविश्वास बढ़ाया और आगे बढ़ने की ताकत दी.”
पत्र में नरेन्द्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को ज्ञान का भंडार कहा है और विभिन्न विषयों में उनके ज्ञान से लाभ मिलने की बात कही है.
पत्र में एक जगह नरेन्द्र मोदी लिखते हैं कि फोन पर स्वास्थ्य के बारे में पूछना उन्हे उर्जा से भर देता था.
नरेन्द्र मोदी ने पत्र में दो अलग विचारधारा होने के बावजूद बेहतर तालमेल के साथ काम करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति को धन्यवाद देते हुए लिखते हैं, “प्रणब दा, हमारी राजनीतिक यात्राओं ने अलग-अलग दलों में आकार लिये. समय-समय पर हमारी विचारधाराएं भिन्न रही हैं. हमारे अनुभव भी अलग-अलग हैं. मेरा प्रशासनिक अनुभव मेरे राज्य से था जबकि आपने दशकों तक राष्ट्रीय नीति और राजनीति को देखा है. इसके बावजूद, आपकी बौद्धिकता और बुद्धिमत्ता में ऐसी ताकत है कि हम तालमेल के साथ मिलकर काम करने में समर्थ थे.”
नरेन्द्र मोदी ने अपने पत्र में प्रणव मुखर्जी के द्वारा अपने कार्यकाल में इनोवेशन और युवाओं के लिए किए गए कार्यों की प्रशंसा की है. उन्होनें अपने पत्र में कहा है कि आप ऐसे नेताओं की पीढी से हैं जिन्होनें नि:स्वार्थ भाव से समाज की सेवा की है. उन्होनें लिखा है कि आप भारतीयों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे.
पत्र में लिखा है, “मैं आपके उन अत्यंत प्यारे शब्दों के लिए भी आपको धन्यवाद देता हूं, जो आपने कुछ दिन पूर्व संसद में विदाई कार्यक्रम में मेरे बारे में बोले थे.”
पत्र का आखिरी वाक्य है, “राष्ट्रपति जी, आपके प्रधानमंत्री के रूप में आपके साथ काम करना मेरे लिए एक सम्मान की बात रही है.”