नई दिल्ली. देश के विधायकों और सासंदों पर चल रहे आपराधिक मुकदमों का जल्द फैसला करने के लिए मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इन केसों का निपटारा एक साल के अंदर किया जाना चाहिए. जिसके बाद केंद्र सरकार ने इन मामलों को निपटाने के लिए एक साल तक 12 स्पेशल कोर्ट चलाने पर सहमति जताई है. इन स्पेशल कोर्ट में करीब 1571 आपराधिक केसों पर सुनवाई होगी.
इसके लिए 7.80 करोड रुपये का खर्च आएगा. वित्त मंत्रालय ने 8 दिसंबर को इसके लिए मंजूरी भी दे दी है. केंद्र ने दागी सांसदों व विधायकों की जानकारी व आंकड़ों के लिए सुप्रीम कोर्ट से और वक्त मांगा है.
आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. जबकि केंद्र सरकार ने इसे खारिज करते हुए 6 साल के बैन को ही लागू रखने को कहा था. गुजरात और हिमाचल चुनाव में वोटिंग से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को करारा झटका देते हुए उनके खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई जल्द पूरी करने के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का प्लान पेश करने को कहा था.